मेरा लॉक डाउन का अनुभव – विशाल त्रिवेदी

Uncategorized

शीर्षक: जियो हिंदुस्तान!

किसी ने सत्य ही कहा है ‘बुरा वक़्त मानव और मानवता को और निखारता है’| वह हमें अपने आप को अन्वेषण करने का एक मौका देता है|
आज सम्पूर्ण विश्व और अपना भारत वर्ष कोरोना जैसी वैश्विक महामारी और उससे उत्पन्न अनेकों कठिनाइयों से पूरी ताकत से संघर्ष कर रहा है|
कोरोना महामारी ने हमें जीवन के अनेक पहलुओं से आत्मसात करवा दिया है जो हमारे मूल्यों में तो थे पर जीवन की आपाधापी में गुम से हो गए थे|
इस लॉक डाउन की अवधी में मैंने क्या सीखा ये मैं आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ| आप भी अपने अनुभव शेयर करिये| एक दूसरे के हौसलों को बल मिलेगा|
स्वच्छ – सरल – स्वस्थ जीवन: प्रकृति एवम प्राकृतिक संसाधनों का महत्व मुझे इस समय ज़्यादा समझ आया है । एक सहज सरल स्वच्छ जीवन जीना बिलकुल भी कठिन नहीं है|
स्वच्छ हवा, सुन्दर नीला आसमान, पक्षी – परिंदों की आवाज़ शायद इतनी कर्णप्रिय कभी नहीं लगी थी|
तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं, यह विश्वास शायद महानगरों के बच्चों को पहली बार हुआ है|

मानवता, सेवा भाव और अंत्योदय: प्रतिदिन कोरोना मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है परन्तु मौत का आंकड़ा उतना भयावह नहीं है अब तक| कहीं न कहीं हमारी इम्युनिटी भी इसमें कारगर साबित हो रही है|
हम भारतीयों में मानवता और सेवा भाव कूट- कूट के भरी हुई है|
भारत के डॉक्टर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस, सेना के सिपाही, शासन – प्रशासन व् मीडिया के बंधुओं ने वास्तव में बहुत ही बढ़िया कार्य किया है इस कोरोना से जारी युद्ध में|
साथ ही स्वयं सेवी संस्थाए व् समाज के विभिन्न वर्ग के लोगो ने इस विषम परिस्थिति में अपनी जान, स्वास्थ और परिवार की चिंता न करते हुए पूरे सेवा भाव के साथ समाज के हर एक व्यक्ति की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं|
याद रखिये ये आम दिन नहीं है| सिमित संसाधनों व् कई चुनौतियों के साथ व् पूरी एहतियात के साथ गरीब – किसान – मज़दूर व् समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े भारतीय की मदद करने की कोशिश बदस्तूर जारी है|
क्या अमीर क्या गरीब, क्या हिन्दू क्या मुसलमान, क्या सिख, क्या ईसाई, सभी ने एक दूसरे के प्रति चिंता दिखाई है और अपने सामर्थ्य से मदद कर रहे हैं |
इसी अंत्योदय के भाव के साथ हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कृत संकल्पित है|
कुछ जाहिल, विघटन कारी और मूर्खों के वजह से कठिनाइयाँ उत्पन्न हुई है परन्तु हौसलों में एक इंच की कमी नहीं दिखाई दे रही| यही हमारे वसुधैव कुटुम्बकम के संस्कार है!
परिवार – कहते है की विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है। यह बिलकुल सत्य है क्यूंकि हमारे पास जो सबसे ज़्यादा मूल्यवान चीज़ होती है वो अपनों का साथ| आप भले ही दूसरे शहर में इस वक़्त लॉक-डाउन की वजह से फंसे हो परन्तु आपको यह मालूम है की आपका परिवार, दोस्त यार सभी आपके साथ हैं इसलिए जितना हो सके उनसे बात करिये, समय व्यतीत करिये और हाँ रामायण – महाभारत भी देखिये दिखाइए| अच्छे संस्कार – विचार मिलते हैं इनसे|
कई पुरुषों ने भोजन बनाना या घर के कार्यों में सहयोग किया है| यह जानना और देखना काफ़ी आनंद – संतोष दायक रहा है|
रामायण और जातिवाद – जातिगत द्वेष विदेशी आक्रमणकारियों और अंग्रेजों ने भारत में फैलाया, जिसे आगे जाति के आधार पर राजनीति करने वाले नेता बढ़ा रहे हैं|
कुछ वामपंथियों के द्वारा हमेशा एक सुनियोजित प्रोपेगेंडा के तहत यह हमेशा बताया गया की सनातन धर्म जातिगत भेदभाव करता है| मनुस्मृति व् अनेक धर्म ग्रंथों को बुरा कहा गया|
काश वह लोग दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण देखते और समझ पाते की एक क्षत्रिय युवराज श्री राम गुरुकुल में एक आदिवासी राजा निषादराज के साथ पढ़े, एक दलित महिला शबरी के झूठे बेर भगवान् श्री राम ने खाए,
वानर प्रजाति के श्री हनुमान और सुग्रीव उनके पुरोधा थे और एक ब्राह्मण जाती के राजा – लंकापति रावण का वध प्रभु श्री राम ने किया|
सोचिए अगर धर्मग्रंथ लिखने वाले ब्राह्मण ऋषि -मुनियों में जातिवाद होता तो क्या वो रामायण कथा में परिलक्षित नहीं होता? क्या एक ऐसा ख़ल पात्र जिसे आज भी हर साल बुराई का प्रतिनिधी मानकर जलाया जाता है उसे ब्राह्मण बताया जाता?

धर्म और ढोंग: हमारे धर्म के अच्छे संस्कार व् शिक्षा ही आपको मानसिक संभल प्रदान करती हैं| ईश्वर के शरण में जाइये परन्तु किसी भी जमात, मास या धर्मांध कार्यो में कदापि लिप्त होइए| कोई भी ढोंगी मौलवी, पादरी या तांत्रिक एक भी रोगी को नहीं बचा सकता|

ईश्वर, अल्लाह, गॉड, रब इस समय हमारे डॉक्टर्स, स्वास्थकर्मी, पुलिस और व्यवस्था में लगे हुए लोग है| उनमें अपनी शक्तियां देकर हमारे साथ है|
तब्लीग़ी जमात, तंत्र और अन्य कई ज़ाहिल कुकृत्यों के बारे में हमने पढ़ा सुना| पढ़े लिखे समझदार लोग आगे आकर सार्वजनिक रूप से इन सब बातों की निंदा नहीं कर रहे, उल्टे सीधे कुतर्कों से उनका बचाव कर रहे हैं|
जो ज़ाहिल है वो नहीं है असली अपराधी, असली अपराधी वो है जो अपने उल्टे सीधे तर्कों से उनका बचाव कर रहा है| वो सिर्फ़ क़ानून का नहीं, वो इंसानियत व् समाज का अपराधी है, और ऐसे लोगों के साथ समय समुचित न्याय करता है|
पैसा और भौतिक सुख: आज दो वक़्त की रोटी और दवा के अलावा हम अपने पैसों का क्या कर सकते है? बिना उपभोग के आज सोना-चॉदी, कार व डीज़ल-पेट्रोल का कोई महत्व नही है ।
कोरोना के दौर में कोई पैसे की बात नहीं कर रहा है, बल्कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं|
गरीब मेहनती, किसान, बड़े उद्योगपति, नौकरी व् धंधा पेशा आम जन, खिलाड़ी, कलाकार, माँ-गृहणियां व् छोटे बच्चे भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता कोष में अपना अनुदान दे रहे हैं| यही संस्कार हमारे देश की अमूल्य विरासत है जो हम सभी को एक सूत्र में पिरोती है| #PMCaresFund
एक तरह से देखा जाए तो कोरोना ने हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाया है, और पैसे के पीछे ना भागने की सलाह दी है।
प्रधानमंत्री मोदी और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री: जब हमारे परिवार में एक भी सदस्य बीमार होता है तो हमें कितनी चिंता होती है?
ज़रा सोचिये देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को 130 करोड़ भारतवासियों की कितनी चिंता होगी? हमारा बस एक कर्त्तव्य है की हम सभी Social Distancing रखते हुए सामर्थ्य के अनुसार जितना हो सके देश-प्रदेश को सहयोग करना है| #PMCaresFund
मुझे पूर्ण विश्वास है की यह कठिन समय बहुत जल्द ही समाप्त हो जाएगा और हम भारतीयों को और मज़बूत बनाकर जाएगा!
सकारात्मकता फैलाइये और नकारात्मक विचारों-लोगों को दूर भगाइये|
हम होंगे क़ामयाब..हिंदुस्तान!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *