बुधवार को अष्टमी पर घर-घर व मंदिरों में कन्या पूजन किया जा रहा है। भक्त मां की साधना में लीन हैं। अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर को रात 9:47 बजे से 13 अक्टूबर की रात 8:06 बजे तक रहेगी। अष्टमी तिथि को मनाने वाले भक्त व्रत उदया तिथि में 13 अक्तूबर को रख रहे हैं। ब्रह्म मुहूर्त 04:48 बजे सुबह से 05:36 शाम तक है।
अमृत काल:
आचार्य सुशांत राज ने बताया कि इस दिन अमृत काल सुबह 3:23 बजे सुबह 4:56 बजे तक और ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:48 बजे से सुबह 5:36 बजे तक है। नवमी तिथि 13 अक्तूबर को रात 8:07 बजे से 14 अक्टूबर की शाम 6:52 बजे तक रहेगी। नवमी तिथि को मनाने वाले लोग 14 अक्टूबर को व्रत रखेंगे। पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक रहेगा।
इसके अलावा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 से दोपहर 12:35 बजे तक है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:49 बजे से सुबह 5:37 बजे तक है। अष्टमी तिथि के समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी तिथि शुरू होने के शुरुआती 24 मिनट के समय को संधि क्षण कहा जाता है। इस वक्त मां दुर्गा की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि संधि काल में मां दुर्गा ने असुर चंड और मुंड का वध किया था।