जाने कौन सा बुरा वक्त मेरे जीवन में आया, जिसके बाद मैं यहां बंद हूं, लेकिन आज राम का किरदार निभाते हुए महसूस हो रहा कि असली किरदार तो यह है। जिसमें आज्ञाकारी पुत्र हैं। मर्यादा और संस्कार हैं। जिला कारागार में एक मामले में बंद दीपक भट्ट भावुकतावश बहुत कुछ कह पाते, इतने में राम का पात्र निभाने मंच की ओर चल पड़े।
कारागार में चल रही रामलीला
जिन हाथों में कभी हथियार थे। चोरी, डकैती, लूट, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में लिप्त रहे। आज कारागार में बंद हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पद चिन्हों पर चलना सीख रहे हैं। वहीं राम, सीता और रावण का किरदार निभा रहे हैं। कारागार में चल रही रामलीला में कैदियों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी रामलीला में अभिनय नहीं किया।