कुनबे की कलह के चलते बची सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं कर पा रहीं भाजपा और कांग्रेस 

उत्तराखण्ड

भाजपा और कांग्रेस में कुनबे की कलह से कई सीटों पर पेच फंसा हुआ है। दोनों दलों ने पहली सूची में कद्दावर नेताओं का टिकट तय कर चुनाव मैदान में उतार दिया है। लेकिन टिकट को लेकर कुनबे की कलह से दोनों ही प्रमुख दल उलझे हुए हैं। वहीं, कई सीटों पर टिकट को लेकर दोनों दलों में असंतुष्टों की नाराजगी भी खुल कर सामने आ रही है। इसके अलावा कांग्रेस भी अभी अपने सबसे अनुभवी और दिग्गज नेता हरीश रावत को चुनावी रण में उतारने पर अभी कोई फैसला नहीं कर पाई है।

चुनाव आयोग ने नामांकन के लिए 28 जनवरी अंतिम तिथि तय की है। इससे पहले प्रत्याशियों को लेकर भाजपा और कांग्रेस में माथापच्ची चल रही है। भाजपा ने जहां पहली ही सूची में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक समेत कैबिनेट मंत्रियों को टिकट तय किया है। वहीं कांग्रेस ने भी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, प्रीतम सिंह समेत सभी वर्तमान विधायकों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। लेकिन कुनबे की कलह से दोनों दलों में अभी तक कई सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर पेच फंसा है।

भाजपा डोईवाला सीट पर उलझी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने से इनकार किया है। अब इस सीट पर सीडीएस स्व. बिपिन रावत के भाई विजय सिंह रावत को टिकट दिए जाने की चर्चा है। हाल ही में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। वहीं हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने से कोटद्वार सीट पर पेच फंसा हुआ है। यहां पर ऋतु खंडूड़ी को टिकट देने की चर्चाएं है। पार्टी ने यमकेश्वर से वर्तमान विधायक होने के बाद भी उनका टिकट काट दिया है।

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