वनाग्नि की रोकथाम को प्लान में रखें तकनीकी और प्रबंधन का समावेश:सीएस

उत्तराखण्ड

देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एस.एस.सन्धु की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय स्थित उनके सभागार में उत्तराखण्ड राज्य स्तरीय वनाग्नि संकट प्रबन्धन सैल की बैठक आयोजित की गयी। मुख्य सचिव ने वन विभाग के अधिकारियों को वनों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिये तकनीकी, प्रबंधन और व्यावहारिक दृष्टि से हर पहलू को देखते हुए प्लान बनाते हुए कार्य करने के निर्देश दिये। उन्होंने अत्याधुनिक तकनीक और इनोवेटिव तौर तरीकों पर फोकस करने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं त्वरित एक्शन के लिए तकनीक का बेहतर उपयोग करते हुए पोर्टल और मोबाईल ऐप बेस्ड सिस्टम तैयार कीजिए। आग लगने की स्थिति में त्वरित सूचना, सटीक डेटा सर्वे और सटीक रिस्पांस से आग से वनों को बचाया जा सकता है। मुख्य सचिव ने जंगल में पिरूल तथा पेड़ों की अन्य पत्तियों, सूखी लकड़ियों इत्यादि बायोमास का बेहतर सदुपयोग पर अधिक से अधिक फोकस करते हुए इस संबंध में बेहतर प्लान बनाने तथा उन पर अमल करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि पिरूल के प्लांट लगाने को अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य किया जाए। मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों को जंगल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन (विद्युत) लाइनों से आग लगने को रोकने के लिये स्थायी और बेहतर प्लान बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने लोगों को जंगल की आग के संबंध में संवेदनशील बनाने तथा अग्नि सुरक्षा में उनकी भी सहभागिता बढ़ाने के साथ ही एन्फोर्समेंट की कार्यवाही तेज करने की बात कही। उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागों से आपसी तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश दिए। इस दौरान बैठक में अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, हैड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स विनोद कुमार सिंघल, सचिव रविनाथ रमन, एस.ए. मुरूगेशन सहित अन्य सम्बन्धित उच्चाधिकारी उपस्थित थे।

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