देहरादून। प्रदेश में भले ही नदी तल के उप खनिजों के खनन को लेकर ई-नियमावली जारी कर दी गई है लेकिन पुरानी नियमावली के तहत हरिद्वार में गंगा व उसकी सहायक नदियों में गंगा केंद्रीय मृदा महकमे की रिपोर्ट समेत विभिन्न पर्यावरणीय अनुमति के कारण तीन जिलों में खनन शुरू नहीं हो पाया है। वहीं, देहरादून की सौंग नदी में उप खनिज की निकासी के लिए शासन ने बदलाव करते हुए यहां खनन अब आयतन नहीं बल्कि तौल के आधार पर करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश में एक अक्टूबर को खनन शुरू हो चुका है। बावजूद इसके अभी तक कई जिलों में विभिन्न कारणों से खनन शुरू नहीं हो पाया है। हरिद्वार में गंगा व उसकी सहायक नदियों में खनन न होने का एक ही कारण नहीं है। यहां पट्टाधारकों की देयता, गंगा नदी क्षेत्र के 60 पट्टों पर केंद्रीय मृदा महकमे की रिपोर्ट और राजाजी नेशनल पार्क से दस किमी की परिधि में आने के कारण 20 पट्टों पर खनन कार्य शुरू नहीं हो पाया है। नैनीताल में गौला नदी में धर्मकांटों के संचालन में विवाद होने के कारण खनन कार्य प्रभावित है। वहीं नंधौर नदी क्षेत्र में पर्यावरणीय अनुमति न होने के कारण खनन कार्य लंबित है। चंपावत में शारदा नदी में जलधारा के कारण खनन समिति ने खनन की अनुमति नहीं दी है।
देहरादून में आसन कंजर्वेशन में 15 खनन पट्टों के आसन कंजर्वेशन में आने के कारण खनन नहीं शुरू हो पाया है। शासन ने आरक्षित वन क्षेत्र में सौंग व जाखन पट्टों से खनन करने के नियमों में बदलाव किया है। अब यहां खनन आयतन के आधार पर पर किया जाएगा। यानी रॉयल्टी अब तौल नहीं क्षेत्र के आयतन के अनुसार ली जाएगी। अभी तक बालू, बजरी व बोल्डर आदि पर रायल्टी इनके वजन के अनुसार ली जाती थी।