कराची। पाकिस्तान में उस समय बड़ा नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिला जब मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) पाकिस्तान के नेता फारूक सत्तार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लेकिन विचार विमर्श और समझाने बुझाने के बाद कुछ ही घंटों में उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया। सत्तार ने कहा कि उन्होंने एमक्यूएम पाकिस्तान को छोड़ने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्यों ने ऐसा दिखाया कि जैसे उन्होंने उर्दू भाषी मुहाजिरों के अधिकार उस समय ‘‘बेच दिए’’ जब वह प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान सरजमीं पार्टी (पीएसपी) के प्रमुख मुस्तफा कमाल से मिलने गए।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं एमक्यूएम पाकिस्तान केंद्रीय समिति के सदस्यों के व्यवहार से दु:खी हूं जिनसे मैंने विचार विमर्श किया था और बाद में मैं चुनावी गठबंधन करने के लिए बुधवार को प्रतिद्वंद्वी पीएसपी से मिलने गया।’’ सत्तार ने कहा, ‘‘इसके पीछे विचार यह था कि उर्दू भाषी मुहाजिरों के मत आगामी चुनाव में बंटे नहीं, लेकिन उन्होंने ऐसे दिखाया कि जैसे मैं मुहाजिरों का हित बेचकर खुद पीएसपी के पास गया।’’ एमक्यूएम की छात्र शाखा शुरू होने के समय से ही पार्टी संस्थापक अल्ताफ हुसैन के साथ निकटता से काम कर रहे सत्तार ने घोषणा की कि वह राजनीति छोड़ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान में ही रहेंगे। जब सत्तार पार्टी के पद से इस्तीफा देने और राजनीति छोड़ने की घोषणा कर रहे थे, उसी दौरान केंद्रीय समिति के सदस्य उनके आवास पर एकत्र हुए और उनसे अपना संवाददाता सम्मेलन समाप्त करने का आग्रह किया और उन्हें सत्तार को पार्टी छोड़कर नहीं जाने के लिए मनाते सुना गया।
टीवी चैनलों ने इस भावुक दृश्य का सीधा प्रसारण किया। पार्टी कार्यकर्ताओं की आंखों में आंसू दिखाई दे रहे थे और वे भावुक होकर सत्तार से विनती कर रहे थे कि वह अपना फैसला वापस लें। इतना ही नहीं, वरिष्ठ नेताओं ने उनसे माइक्रोफोन भी छीन लिया। सत्तार अपने आवास पर पार्टी नेताओं के साथ कई घंटों की बातचीत के बाद अपनी मां और पत्नी के साथ बाहर आए और उन्होंने ताजा घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपनी मां को ना नहीं कह सकता और वह चाहती हैं कि मैं मुहाजिरों के हितों के लिए काम करना जारी रखूं।… इसलिए मैं अपना फैसला वापस ले रहा हूं और मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैंने कोई नाटक नहीं किया।’’
यह नाटक तब शुरू हुआ था जब कमाल ने बुधवार शाम सत्तार के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हुसैन की निंदा की और कहा कि किसी भी नए गठबंधन में मुत्ताहिदा या मुहाजिर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। बाद में सत्तार ने कमाल के इस बयान पर निराशा व्यक्त की थी और फिर शाम को एमक्यूएम केंद्रीय समिति ने घोषणा की थी कि पीएसपी के साथ कोई गठबंधन नहीं हो पाया है।