बीजिंग। चीन ने गुरुवार को संकेत दिए कि वह सर्दियों के दौरान भी डोकलाम क्षेत्र के नजदीक अपने सैनिकों की अच्छी-खासी संख्या में तैनाती जारी रखेगा। चीन ने जोर देकर कहा कि यह उसका इलाका है। इससे पहले सर्दियों में भारत और चीन दोनों इस इलाके के अग्रिम मोर्चो से अपनी सेना पीछे हटा लेते थे।
डोकलाम में 73 दिनों तक चली तनातनी के बाद भारत और चीन ने 28 अगस्त को इस मसले को सुलझा लिया था। इस सुलह के तहत चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को जोड़ने वाले संकरे चिकन नेक क्षेत्र में सड़क बनाने का काम रोक दिया था। बता दें कि भूटान का दावा है कि डोकलाम उसका इलाका है।
जबकि, चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल वू क्यूईआन ने गुरुवार को कहा, ‘डोंगलोंग (डोकलाम) चीन का क्षेत्र है। सिद्धांतों के आधार पर सेना की तैनाती का फैसला हम खुद करेंगे।’ चीन के इस रुख और डोकलाम के नजदीक यतुंग के पास चीनी सैनिकों की उपस्थिति के मद्देनजर भारत को भी वहां अपनी सेना तैनात रखने पर मजबूर होना पड़ा है।
हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 17 नवंबर को वर्किग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन ऑन इंडिया-चाइना बॉर्डर अफेयर्स (डब्लूएमसीसी) की बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई या नहीं। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में भारत-चीन सीमा के सभी सेक्टरों की स्थिति की समीक्षा की गई और विश्वास बहाली के उपाय व सैन्य संपर्क बढ़ाने पर विचार-विमर्श हुआ। डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली बैठक थी।
चीन के सैन्य प्रवक्ता से जब पूछा गया कि डोकलाम जैसे विवाद से बचने के लिए दोनों देशों की सेनाओं ने हॉटलाइन स्थापित करने की दिशा में क्या कोई प्रगति की है, इस पर कर्नल वू ने कहा इस मसले पर दोनों पक्ष एक-दूसरे के संपर्क में है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देशों के सैन्य मुख्यालयों के बीच हॉटलाइन स्थापित नहीं की जा सकती क्योंकि हालिया सुधारों के बाद चीन में अब सेना का कोई केंद्रीय कार्यालय नहीं है।