कांवड़ यात्रा के संचालन को लेकर प्रदेश सरकार बेशक दूसरे राज्यों से बातचीत कर रही है, लेकिन इस पर संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं। दरअसल इसका विरोध शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान ने कहा कि सरकार ने यात्रा शुरू करने का फैसला लिया तो वह मामले को न्यायालय में उठाएंगे। इसी मामले में जुगरान की एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में पहले से दायर है।
बकौल जुगरान कोविड-19 महामारी के बीच कांवड़ यात्रा तीसरी लहर को दावत देना सरीखा है। उधर, सोशल डेवलपमेंट कम्युनिटीज के संस्थापक अनूप नौटियाल ने ट्विटर पर संदेश लिखा कि कांवड़ यात्रा का फैसला लिया गया तो इसके लिए बनाई जाने वाली मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को लागू करना असंभव होगा।
नौटियाल के अनुसार, 15 दिन की कांवड़ यात्रा में तीन से चार करोड़ यात्री आने का अनुमान है। यह संख्या कुंभ आए लोगों से करीब पांच गुना अधिक है। उनके मुताबिक, कुंभ मेले के दौरान 30 दिन में 70 लाख श्रद्धालु आए थे, जबकि 15 दिन के कांवड़ मेले में ये संख्या पांच गुना हो सकती है, जिसे संभालना राज्य सरकार के वश में नहीं होगा।