ऑडियो राइटिंग ने कहानी का स्वरूप बदला है
चंडीगढ़: आधुनिक काल में कहानियां लिखी नहीं सुनी जाती है, जैसे जैसे समय बदल रहा है उसमे लोग पढ़ने कम लगे हैं और सुनने ज्यादा लगे है इसलिए कहानियों का नया रूप हमे पॉडकास्ट या ऑडियो राइटिंग के रूप में सुनने को मिलता है जिसमे हम अपने आपको जुड़ा हुआ महसूस करते है, अगर पहले की बात करे तो कई लेखक ऐसे हुए जिनको कालजयी लेखक और कवि कहा जाने लगा जैसे प्रेमचंद, मंटो, निराला, हरिवंश राय बच्चन जैसे लेखकों ने जो लिखा वो लोगो ने समझा क्योंकि उनका लेखन बोलचाल की भाषा में ही था, अगर आप प्रेमचंद को पढ़ते हो तो जो उन्होंने उस वक़्त की समस्याओं को लिखा वो आज भी निरंतर है वहीँ हम आज चेतन भगत को पढ़ते है तो लगता है की हम वर्तमान ज़िन्दगी जी रहे है और यह वर्तमान में ही चली जाएगी, आजकल जो कहानियां और उपन्यास लिखे जा रहे है वो आज के परिपेक्ष में तो सटीक बैठते है यह कहना था मारवाह स्टूडियो के निदेशक डॉ. संदीप मारवाह का सातवें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल नॉएडा के दूसरे दिन ‘न्यू ट्रेंड्स इन फिक्शन राइटिंग” वेबिनार में। जिसमें चेक रिपब्लिक एंबेसी के रोमन मेसरिक व कई लेखक शामिल हुए जैसे तन्मय दुबे, महेश दर्पण, विवेक मिश्रा, लेखिका एरा टाक और लेखिका प्रतिभा जोशी। इसी के साथ कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें कई जाने माने कवि जैसे सर्वेश अस्थाना, सत्यपाल सत्यम, मनोज कुमार, श्रेयस्कर गौर, डॉ. भावना तिवारी, डॉ. रमा सिंह और सोनरूपा विशाल ने अपनी रचनाएं सुनाई जिसे सुनकर सभी लोग वाह वाह करने से नहीं चूके।
रोमन मेसरिक ने कहा कि पेंडेमिक के पिछले दो साल में हमने हिंदी की कई फेमस बुक को अपनी भाषा में ट्रांसलेट किया है जिसे हमारे यहाँ बहुत पसंद किया जा रहा है।
लेखिका एरा टाक ने कहा कि आजकल कहानियों की डिमांड कम हो रही है और उपन्यास की ज्यादा इसलिए कहानियां पीछे रह गयी है। तन्मय दुबे ने कहा कि फिक्शन राइटिंग को लोग ज्यादा पसंद करते है क्योंकि वो रियल इवेंट पर आधारित होती है और ओटीटी प्लेटफार्म की वजह से फिक्शन कंटेंट की डिमांड बढ़ रही है। विवेक मिश्रा ने कहा कि जो भी हम साहित्य रचते है वो हमारी स्मृतियों से ही निकलकर आता है और हमे अपने कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए जो लेखक की सोच को विस्तार दे।
चंडीगढ़: आधुनिक काल में कहानियां लिखी नहीं सुनी जाती है, जैसे जैसे समय बदल रहा है उसमे लोग पढ़ने कम लगे हैं और सुनने ज्यादा लगे है इसलिए कहानियों का नया रूप हमे पॉडकास्ट या ऑडियो राइटिंग के रूप में सुनने को मिलता है जिसमे हम अपने आपको जुड़ा हुआ महसूस करते है, अगर पहले की बात करे तो कई लेखक ऐसे हुए जिनको कालजयी लेखक और कवि कहा जाने लगा जैसे प्रेमचंद, मंटो, निराला, हरिवंश राय बच्चन जैसे लेखकों ने जो लिखा वो लोगो ने समझा क्योंकि उनका लेखन बोलचाल की भाषा में ही था, अगर आप प्रेमचंद को पढ़ते हो तो जो उन्होंने उस वक़्त की समस्याओं को लिखा वो आज भी निरंतर है वहीँ हम आज चेतन भगत को पढ़ते है तो लगता है की हम वर्तमान ज़िन्दगी जी रहे है और यह वर्तमान में ही चली जाएगी, आजकल जो कहानियां और उपन्यास लिखे जा रहे है वो आज के परिपेक्ष में तो सटीक बैठते है यह कहना था मारवाह स्टूडियो के निदेशक डॉ. संदीप मारवाह का सातवें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल नॉएडा के दूसरे दिन ‘न्यू ट्रेंड्स इन फिक्शन राइटिंग” वेबिनार में। जिसमें चेक रिपब्लिक एंबेसी के रोमन मेसरिक व कई लेखक शामिल हुए जैसे तन्मय दुबे, महेश दर्पण, विवेक मिश्रा, लेखिका एरा टाक और लेखिका प्रतिभा जोशी। इसी के साथ कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें कई जाने माने कवि जैसे सर्वेश अस्थाना, सत्यपाल सत्यम, मनोज कुमार, श्रेयस्कर गौर, डॉ. भावना तिवारी, डॉ. रमा सिंह और सोनरूपा विशाल ने अपनी रचनाएं सुनाई जिसे सुनकर सभी लोग वाह वाह करने से नहीं चूके।
रोमन मेसरिक ने कहा कि पेंडेमिक के पिछले दो साल में हमने हिंदी की कई फेमस बुक को अपनी भाषा में ट्रांसलेट किया है जिसे हमारे यहाँ बहुत पसंद किया जा रहा है।
लेखिका एरा टाक ने कहा कि आजकल कहानियों की डिमांड कम हो रही है और उपन्यास की ज्यादा इसलिए कहानियां पीछे रह गयी है। तन्मय दुबे ने कहा कि फिक्शन राइटिंग को लोग ज्यादा पसंद करते है क्योंकि वो रियल इवेंट पर आधारित होती है और ओटीटी प्लेटफार्म की वजह से फिक्शन कंटेंट की डिमांड बढ़ रही है। विवेक मिश्रा ने कहा कि जो भी हम साहित्य रचते है वो हमारी स्मृतियों से ही निकलकर आता है और हमे अपने कंटेंट पर ध्यान देना चाहिए जो लेखक की सोच को विस्तार दे।