नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि त्वरित समाधान और सामाजिक न्याय पाने के लिए मध्यस्थता हमारी कानूनी प्रक्रिया की कुंजी है। हमें खुशी है कि कई राज्यों ने तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा को मातृभाषा में प्रदान करने के लिए पहल की। प्रधानममंत्री ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए न्यायपालिका के तराजू तक जाने की जरूरत नहीं होती, कई बार भाषा भी सामाजिक न्याय का माध्यम बन जाती है। आम लोगों को न्यायिक प्रक्रिया और फैसलों को समझना बड़ा मुश्किल होता है, हमें इसे आसान बनाना है। पीएम ने कहा कि किसी भी देश में स्वराज का आधार न्याय होता है, न्याय जनता की भाषा में होना चाहिए, जब तक फैसला आम लोगों की समझ में नहीं आता, उनके लिए न्याय और सरकारी आदेश में फर्क नहीं होता। विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल लेनदेन हुए हैं, उसमें 40 प्रतिशत भारत में हुए थे। डिजिटल इंडिया के साथ न्यायपालिका का समन्वय आज देश की आकांक्षा बन गया है, मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश इस पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति भरने के प्रयास चल रहे हैं।