हिमाचल चुनाव में प्रचार का बड़ा हथियार बन सकते हैं कर्नल कोठियाल

देश-विदेश

प्रदेश पार्टी कार्यालय में जब कर्नल कोठियाल भाजपा में शामिल हो रहे थे, तो कइयों की जुबान पर यह सवाल तैर रहा था कि आखिर गंगोत्री विधानसभा सीट से जमानत जब्त कराने वाले कर्नल अजय कोठियाल (सेनि.) को भाजपा में लाने के क्या सियासी मायने हो सकते हैं?

इस सवाल की पड़ताल की गई तो खुलासा हुआ कि सुनियोजित सियासी रणनीति के तहत उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया है। हिमाचल विधानसभा चुनाव में कर्नल कोठियाल भाजपा के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में सफाया होने के बाद आम आदमी पार्टी के प्रदेश संगठन में खासी बेचैनी थी। पराजय से व्यथित कर्नल अजय कोठियाल और उनके समर्थक भी खुद को पार्टी में सहज नहीं पा रहे थे। इसलिए उन्हें एक ऐसे ठौर की तलाश थी, जहां उन्हें सम्मान के साथ स्थान भी मिल सके। ज्योंही फौजी अफसर और उनकी टीम की ख्वाहिश भाजपा तक पहुंची, उसके नेताओं ने उनके लिए दरवाजे खोल दिए। पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय सूत्रधार बने।’

सियासी हलकों में सवाल तैरा कि आखिर कर्नल कोठियाल को भाजपा में लाने के क्या सियासी मायने हो सकते हैं? कर्नल अजय कोठियाल को पार्टी में लाने का भाजपा को सबसे पहला लाभ सैन्य बहुल उत्तराखंड में सैनिक और पूर्व सैनिक परिवारों के बीच यह संदेश देना है कि वह सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों को महत्व देती है। राष्ट्रवाद के अपने एजेंडे को मजबूती देने के लिए भी उसने यह दांव चला। लेकिन बड़ा सियासी दांव पड़ोसी राज्य हिमाचल के लिए माना जा रहा है। 

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