- पशुपालन विभाग ने गौवंश रख रखाव के लिए 6 से बढ़ाकर 30 रूपये प्रतिदिन किया
- प्रदेश में रजिस्टर्ड हैं 49 गौशाला
देहरादून। उत्तराखंड में गोवंश को बचाने के लिए भाजपा सरकार की तरफ से समय-समय पर विभिन्न निर्णय लिए जाते रहे हैं। राज्य में इसके लिए बकायदा गोवंश आयोग का भी गठन किया गया है। वहीं, अब गोवंश की रक्षा और बेहतर रखरखाव के लिए विभाग ने दिल खोलकर अनुदान देने का फैसला लिया है। इस दिशा में गौशालाओं के लिए रकम बढ़ाने के साथ ही कई नई योजना शुरू करने जा रही है। जिसके लिए पशुपालन विभाग की तरफ से कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। उत्तराखंड गोवंश संरक्षण निधि की कार्यकारिणी समिति में वार्षिक बैठक की समीक्षा करते हुए विभागीय मंत्री सौरभ बहुगुणा ने गोवंश की सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने का फैसला लिया है। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि राज्य में रजिस्टर्ड गौशालाओं को अब तक दी जाने वाली रखरखाव के लिए अनुदान की राशि को 5 गुना तक बढ़ाया जाएगा। राज्य में 49 रजिस्टर्ड गौशाला में हैं और इन्हें अब तक 6 रुपये प्रति गोवंश के लिहाज से अनुदान दिया जाता रहा है, लेकिन अब इस रकम को बढ़ाते हुए इसे 30 रुपये प्रति गोवंश करने का फैसला लिया गया है। उधर, पशुपालन विभाग ने ग्राम गौ सेवक योजना को भी शुरू करने का निर्णय लिया गया है। जिसके तहत कुछ युवक मिलकर यदि गोवंश का रखरखाव करते हैं तो सरकार ऐसे युवकों को भी इस काम के लिए अनुदान देगी। इसके अलावा राज्य के सभी 13 जिलों को गोवंश की रक्षा के लिए करीब 12.5 लाख रुपए की रकम निर्गत करने का फैसला लिया गया है। इसके जरिए पुलिस समेत दूसरे संबंधित विभागों को गोवंश की रक्षा के लिए आर्थिक रूप से मदद दी जाएगी। उच्च न्यायालय, नैनीताल के निर्गत मार्गदर्शी आदेशों के क्रम में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड शासन ने दिनांक 11 नवम्बर, 2016 को निर्गत शासनादेश संख्या गृह अनुभाग-03 1930/आईआई (3)/2016-11(129)2016 के अनुरुप शहरी क्षेत्रों में नगर निकायों ने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायतों द्वारा भी निराश्रित गोवंश को शरण दिये जाने के लिए गोशाला शरणालयों व कांजी हाउसों का संचालन किया जाना अपेक्षित है। उच्च न्यायालय नैनीताल द्वारा इस कार्य के लिए गैरसरकारी संस्थाओं (मन्दिरों/मठों) से भी सहयोग लिये जाने की अपेक्षा की गयी है। पशुपालन विभाग द्वारा, उत्तराखण्ड गोवंश संरक्षण अधिनियम, 2007 के प्राविधानों के अनुरुप पशुपालन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा, प्रदेश में अलाभकर गोवंश (निराश्रित, अनुत्पादक, वृद्ध, बीमार व गोतस्करोें से जब्त किये गये केस प्रॉपर्टी गोवंश) को शरण दिये जाने के लिए गैरसरकारी पशुकल्याण संस्थाओं के माध्यम से कार्ययोजना संचालित की जा रही है। गतवित्तीय वर्ष में राज्यान्तर्गत 38 मान्यता प्रदत्त गोसदनों में कुल 9,482 अलाभकर गोवंशीय पशु शरणागत थे। राज्य के मान्यता प्रदत्त एवं अर्ह गोसदनों को राजकीय अनुदान स्वीकृत किये जाने को गत 10 जून, 2022 को पशुपालन मंत्री की अध्यक्षता में राजकीय अनुदान चयन समिति की प्रथम बैठक आहूत की गई थी। बैठक में निर्णय लिया गया था कि, कुल उपलब्ध बजट प्राविधान 83.33 लाख रुपये (रु० 02.44 प्रति गोवंश प्रतिदिन की दर से राजकीय अनुदान) को गोवंश भरण-पोषण मद में सदुपयोग किये जाने के लिए सभी मान्यता प्रदत्त एवं अर्ह गोसदनों में गत वित्तीय वर्ष में शरणागत गोवंश की औसत संख्या के सापेक्ष समानुपातिक आधार पर आबंटित कर दिया जाय। इस क्रम में उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड द्वारा प्रेषित प्रकरण शासन स्तर पर प्रक्रियाधीन है। इस वर्ष पड़ोसी राज्यों द्वारा भूसे के परिवहन पर आंशिक रोक लगाये जाने के कारण भूसे के बाजार भाव में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है जिस कारण सभी मान्यता प्रदत्त एवं अर्ह गोसदन कठिन वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा ‘गोसदनों के लिए राजकीय सहायता मद’ में अतिरिक्त रुप से 1416.67 लाख रुपये का अतिरिक्त बजट प्राविधान करते हुए चालू वित्तीय वर्ष के लिए ‘गोसदनों के लिए राजकीय सहायता मद’ में कुल 15 करोड के बजट का प्राविधान किया गया है। भूसे के बाजार भाव में अभूतपूर्व वृद्धि का संज्ञान लेते हुए शनिवार को पशुपालन मंत्री, उत्तराखण्ड सरकार की अध्यक्षता में वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजकीय अनुदान चयन समिति की दूसरी बैठक में,उत्तराखण्ड शासन ने स्वीकृत अतिरिक्त बजट प्राविधान 1416.67 लाख रुपये का यथाशीघ्र सदुपयोग सुनिश्चित किये जाने के लिए निर्णय लिया गया है। बैठक में अध्यक्ष, उत्तराखण्ड गोसेवा आयोग पं. राजेन्द्र अणथ्वाल, सचिव पशुपालन डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, अपर निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. अशोक कुमार, संयुक्त निदेशक व प्रभारी अधिकारी, उत्तराखण्ड पशुकल्याण बोर्ड डॉ. आशुतोष जोशी, डॉ. दिनेश सेमवाल, डॉ. उर्वशी एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे।