आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने वयस्कों में हृदय रोगों के सबसे खतरनाक कारणों का पता लगाया

उत्तराखण्ड

शोध के परिणामों के अनुसार भारत में अधिक उम्र के लोगों पर ऐसे शारीरिक खतरों के साथ-साथ आनुवंशिक, घर के अंदर पर्यावरण प्रदूषण और व्यवहार संबंधी खतरे भी हंै।
देहरादून: भारत में 45 वर्ष और अधिक उम्र के लोगों में हृदय रोगों (सीवीडी) के सबसे खतरनाक कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताआंे की एक टीम ने डॉ. रमना ठाकुर के मार्गदर्शन में एक अध्ययन किया है। सीवीडी दुनिया भर में मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। सालाना लगभग 17.9 मिलियन लोग इससे जान गंवा देते हैं। शोधकर्ताओं ने भारत के गांव और शहर दोनों के 45 वर्ष उम्र के 59,000 से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया और बीमारी के सबसे खतरनाक कारणों का पता लगाया।
शोध के विवरण करंट प्रॉब्लम्स इन कार्डियोलॉजी (एल्सेवियर) – इम्पैक्ट फैक्टर: 16.464 नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए। आईआईटी मंडी के मानविकी और सामाजिक विज्ञान स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. रमना ठाकुर और रिसर्च स्काॅलर सुश्री गायत्री और सुश्री सुजाता ने मिल कर यह शोध पत्र तैयार किया है।
शोध का आधार बताते हुए आईआईटी मंडी की डॉ. रमना ठाकुर ने कहा, ‘‘सीवीडी के कई खतरनाक कारण रहे हैं जैसे सिस्टोलिक ब्लडप्रेसर अधिक होना, एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम होना, मोटापा, सेहत के लिए हानिकारक खान-पान, पोषण सही नहीं होना, आयु, परिवार में सीवीडी का इतिहास, शारीरिक श्रम/व्यायाम नहीं करना, धूम्रपान और शराब का सेवन आदि। इसके अतिरिक्त, एक अन्य खतरनाक कारण वायु प्रदूषण का प्रकोप है। हम ने इन खतरनाक कारणों को अलग-अलग समूहों में बांटने का प्रयास किया है और फिर भारत में 45 वर्ष और अधिक आयु के लोगों में सीवीडी पर प्रत्येक समूह के असर को जानने का लक्ष्य रखा है।’’
शोधकर्ताओं की टीम ने भारत में लांगिट्युडिनल एजिंग स्टडी (एलएएसआई) के डेटा का उपयोग किया। राष्ट्रव्यापी लांगिट्युडिनल सर्वे में सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 18 वर्ष और अधिक आयु के 73,396 व्यक्तियों को शामिल किया गया। इस अध्ययन का शुभारंभ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में किया गया। इसके पहले दौर से डेटा एकत्र किए गए। इसके लिए नोडल एजेंसी का काम अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस), मुंबई ने किया। शोधकर्ताओं ने डेटा परिष्कृत करने के बाद 45 वर्ष और अधिक आयु के 59,073 लोगों को अध्ययन में शामिल किया।
अध्ययन में यह देखा गया कि भारत के उम्रदराज वयस्कों में सीवीडी के प्रकोप और इसके बढ़ने के लिए पर्यावरण प्रदूषण एक खतरनाक कारण है। भारत की अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और खाना पकाने और ऐसे अन्य कार्यों के लिए प्रदूषण करने वाले ईंधनों का उपयोग करती है। ऐसे ईंधनों के जलने से हानिकारक धुंआं निकलता है जो लोगों की सेहत के लिए खतरनाक है। आपके नजदीक किसी अन्य का धूम्रपान करना, जिसे आमतौर पर अप्रत्यक्ष धूम्रपान कहते हैं, भी दिल धमनी के लिए हानिकारक माना जाता है और यह लगभग खुद धूम्रपान करने की तरह खतरनाक भी है।
इस अध्ययन में शारीरिक श्रम/व्यायाम जैसे व्यवहार संबंधी सीवीडी के खतरनाक कारणों की भी पहचान की गई। अध्ययन से यह भी पता चला है कि मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, डिप्रेशन और अधिक वजन या मोटापा जैसे शारीरिक कारण विशेष रूप से गंभीर हैं। लोगों का शारीरिक श्रम/व्यायाम नहीं करना, फास्ट-फूड का चलन बढ़ना और शहरीकरण ऐसे ही कुछ खतरनाक शारीरिक कारण हैं।
घर के अंदर वायु प्रदूषण कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए इस अध्ययन में यह सुझाव दिया गया है कि तरल पेट्रोलियम गैस, सौर, बिजली और बायोगैस जैसी स्वच्छ तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जाए। अधेड़ उम्र या वृद्धावस्था में भी हल्की से मध्यम शारीरिक गतिविधि करने से हृदय रोग और इससे मृत्यु का खतरा काफी कम होता है। शराब और तम्बाकू के खतरों के बारे में जागरूकता कार्यक्रम करना भी शराब-तम्बाकू का चलन और सीवीडी की संभावना कम करने का कारगर उपाय हो सकता है।.

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