शैक्षणिक अखंडता और अनुसंधान नैतिकता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

उत्तराखण्ड

देहरादून। डीआईटी विश्वविद्यालय में वेदा सेंट्रल लाइब्रेरी और स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड मैनेजमेंट द्वारा संयुक्त रूप से शैक्षणिक अखंडता और अनुसंधान नैतिकता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सेमिनार का उद्घाटन डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रो कुलपति ने किया। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से डॉ. सोनल सिंह सेमिनार की मुख्य अतिथि थीं। सेमिनार के संयोजक संजीव सैन, हिरण्मय रॉय थे, सेमिनार में रजिस्ट्रार सैमुअल अर्नेस्ट भी उपस्थित थे। सेमिनार मै अलग अलग संस्थाओं से आये वक्ताओं ने शैक्षणिक अखंडता और अनुसंधान नैतिकता पर अपने-अपने विचार रखे। सेमिनार का उद्देश्य अकादमिक समुदाय में शोधकर्ताओं, संकाय सदस्यों और छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करना और नैतिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है। सेमिनार में शोध के विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात वक्ता शामिल हुए, जिन्होंने साहित्यिक चोरी, उद्धरण, डेटा प्रबंधन, प्रकाशन नैतिकता, बौद्धिक संपदा अधिकार और शोध में नैतिक दुविधाओं जैसे विषयों पर अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए। सेमिनार में प्रतिभागियों को शामिल करने और उनके सीखने के परिणामों को बढ़ाने के लिए इंटरैक्टिव सत्र, पैनल चर्चा, केस स्टडी और क्विज भी शामिल थे। सेमिनार में देश भर के विभिन्न संस्थानों से 230 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिन्हें भागीदारी और प्रशंसा प्रमाण पत्र प्राप्त हुए। सेमिनार एक सफल और उपयोगी आयोजन था जिसने उच्च शिक्षा क्षेत्र में शैक्षणिक अखंडता और अनुसंधान नैतिकता की उन्नति में योगदान दिया।
समापन सत्र में डॉ. नरेश मोहन चड्डा, डीन एलाइड साइंस और डॉ. अनिल सिंह, सहायक निदेशक (एलआईएस) कॉम्पीशन कमीशन ऑफ इंडिया उपस्थित थे।

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