नई दिल्ली। इनोवेशन और सफलता की थीम के साथ बढ़ते इस सफर में हम भारत के विभिन्न क्षेत्रों से उद्यमियों की ऐसी कहानियां सामने लेकर आए हैं, जो प्रेरित और प्रोत्साहित करती हैं। अपने समर्पण और फ्लिपकार्ट के सतत समर्थन के साथ डायनामिक ई-कॉमर्स की दुनिया में बढ़ते हुए इन उद्यमियों ने नई ऊंचाई तय की है। ये कहानियां इनोवेशन द्वारा आगे बढ़ने वाले विकास का प्रतीक हैं। त्योहारी सीजन आने वाला है और ऐसे में उद्यमियों की ये कहानियां उनके उद्योगों के लिए नई राह बनाने की दिशा में ई-कॉमर्स की क्षमता को उजागर करती हैं। साथ ही ये कहानियां उस त्योहारी उत्साह को भी दिखाती हैं, जो अपने साथ नए अवसर लाता है। इन उद्यमियों के प्रेरणादायक सफर के साक्षी बनते हुए हम इन इनोवटर्स की डायनामिक स्पिरिट का भी सम्मान करते हैं, जिसके साथ उन्होंने न केवल डिजिटल दुनिया को अपनाया, बल्कि इसमें मजबूती से आगे भी बढ़े।
सेलर का नाम: विपुल शुक्ला
बिजनेस: मेघदूत हर्बल
लोकेशन: लखनऊ
वर्ष 1985 में विपुल के दादाजी के साथ एक दिलचस्प कहानी की शुरुआत हुई थी। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत की कमाई से हुई सारी बचत ‘मेघदूत हर्बल’ के नाम से एक छोटा सा उद्यम शुरू करने में लगा दी थी। लखनऊ के पास के एक गांव से शुरू हुआ यह पारिवारिक उद्यम आयुर्वेदिक उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञता रखता है। शुरुआत में एक मामूली सा सेटअप था, जिसमें एक ऑफिस और एक प्रोडक्शन प्लांट था, जिसका उद्देश्य आजीविका के अवसर सृजित करते हुए आसपास रहने वाले कुछ लोगों को रोजगार प्रदान करना था। धीरे-धीरे कारोबार ने गति पकड़ी और मेघदूत हर्बल ने उत्तर प्रदेश खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड (यूपीकेवीआईबी) के साथ रजिस्टर होकर अपना खास मुकाम बना लिया।
प्रतिष्ठित आईआईटी (बीएचयू) से स्नातक करने वाले विपुल का रुझान भी दादाजी द्वारा शुरू किए गए उद्यम की ओर ही था और उन्होंने पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाने का फैसला किया। मेघदूत हर्बल को लेकर विपुल की बड़ी महत्वाकांक्षाएं थीं। उनका सपना उम्र की सीमा को पीछे छोड़ते देश में हर क्षेत्र के हर उम्र के लोगों के लिए मेघदूत हर्बल के आयुर्वेदिक उत्पादों को पेश करना था। मंडराती अनिश्चितताओं के बावजूद विपुल ने एक साहसिक विकल्प चुना और पारिवारिक विरासत को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का संकल्प लिया।
इस बदलाव की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए साझेदार के रूप में उन्होंने फ्लिपकार्ट की ओर रुख किया। फ्लिपकार्ट की सरल ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया और ट्रेनिंग की मदद से आसानी से यह सफर शुरू हो गया। अपने कारोबार के बारे में विपुल कहते हैं, ‘आयुर्वेदिक प्रोडक्ट बनाने वाली एक कंपनी के मालिक के रूप में मैं मानता हूं कि हमारे उत्पादों की व्यापक अपील हर्बल और ट्रेडिशनल रेमेडीज को अपनाने की भारतीय घरों की लंबे समय से चली आ रही परंपरा के कारण ही है। इनमें सर्दी से बचाव और बालों के झड़ने की समस्याओं के पारंपरिक समाधान हैं, जो आयुर्वेदिक उत्पादों के महत्व को दिखाते हैं। हमें व्यापक ट्रेनिंग एवं समझ प्रदान करने वाले फ्लिपकार्ट के अमूल्य समर्थन के साथ हम अपने हर्बल सॉल्यूशंस की पहुंच और उनके प्रभाव को और बढ़ा रहे हैं।’
बढ़ते ग्राहक आधार और ई-कॉमर्स के क्षेत्र में विस्तार के साथ विपुल को भरोसा है कि मेघदूत हर्बल आने वाले वर्षों में और बड़ी उपलब्धियां हासिल करेगा। यह ई-कॉमर्स की दुनिया में विरासत, महत्वाकांक्षा और इनोवेशन के साकार होने की कहानी है: एक अग्रणी उद्यमी की कहानी, जिसने बहुत सहजता से परंपरा को आधुनिकता से जोड़ा है।
सेलर का नाम: रीना
बिजनेस: राजवी क्रिएशन्स
लोकेशन: गुजरात
एक और प्रेरणादायक कहानी है गुजरात के सूरत की रहने वाली 35 वर्षीय उद्यमी रीना की। रीना एक मजबूत संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी हैं और उनके पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के रूप में शिक्षा का मजबूत आधार भी है। महिलाओं के लिए एथनिक सेट बनाने की स्पेशलाइज्ड मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट खोलने के जुनून के साथ एक उद्यमी के रूप में रीना की यात्रा की शुरुआत हुई थी। वह कुछ अनूठा बनाने की इच्छा से प्रेरित थीं। फैब्रिक एवं अन्य मैटेरियल्स को लेकर अपनी सीमित जानकारी के कारण उन्हें शुरुआत में काम में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन इनसे पार पाते हुए उन्होंने अत्यधिक प्रतिस्पर्धी अपैरल इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई।
लगभग ढाई साल पहले रीना के कारोबार में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब उन्होंने ई-कॉमर्स में कदम रखा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्होंने फ्लिपकार्ट का साथ लिया। 11 समर्पित लोगों की एक टीम के साथ वह रेयान विस्कोस फैब्रिक से बड़ी मेहनत से एथनिक सेट तैयार करती हैं। चुनौतियों के बावजूद, अपने समर्पण के दम पर उन्होंने 1700 प्रतिदिन के हिसाब से ऑर्डर प्राप्त किए। फ्लिपकार्ट पर उनके उत्पादों ने पूरे भारत में लोकप्रियता हासिल की है और 4500 से ज्यादा लिस्टिंग के साथ उनके रेयान विस्कोस एथनिक सेट इस सेगमेंट में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सेलर के रूप में स्थापित करते हैं। पूर्व, उत्तर और दक्षिण भारत से भी उन्होंने कई लॉयल कस्टमर पाए हैं। रीना बहुत सावधानीपूर्वक कपड़े चुनती हैं। इससे प्रोडक्ट की गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। वह एक्सीलेंस और किफायत के बीच संतुलन बनाकर चलती हैं। उन्होंने द बिग बिलियन डेज में उत्साहपूर्वक भाग लिया था और उनका पिछले वर्ष का अनुभव विशेष रूप से सकारात्मक रहा था।
अब तक के सफर को याद करते हुए रीना कहती हैं, ‘मैं बिग बिलियन डेज इवेंट के लिए पूरी तरह से तैयार हूं तथा फ्लिपकार्ट के अटूट समर्थन के दम पर और बड़ी सफलता की उम्मीद करती हूं। डेडिकेटेड मैनेजर्स और उनकी सपोर्ट टीम ने कारोबार के हर चरण में मेरा मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक महिला उद्यमी के रूप में मेरा सफर फ्लिपकार्ट ने आगे बढ़ाया है और मेरा लक्ष्य इस प्लेटफॉर्म पर अपने विकास को नई ऊंचाई देना है। मैं अपने बिजनेस को लेकर एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की उम्मीद करती हूं और इस यात्रा में फ्लिपकार्ट के साथ साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका है।’
‘इनोवेटर’ के उदाहरण के रूप में फ्लिपकार्ट के साथ रीना की उल्लेखनीय यात्रा ने उनके कारोबार को बदलकर रख दिया है। उनके रेयॉन विस्कोस प्रोडक्ट्स ने फैब्रिक क्यूरेशन, क्वालिटी और किफायत के सहज मेल से देशभर में ग्राहकों की लॉयल्टी प्राप्त की है। फ्लिपकार्ट के समर्थ प्रोग्राम ने देशभर के उद्यमियों को समर्थन दिया है और उन्हें ई-कॉमर्स की क्षमता का अनुभव करने एवं एक सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनने के लिए ब्रांड से हाथ मिलाने को लेकर जागरूकता पैदा की है।
सेलर का नाम: स्मिता कुलकर्णी
बिजनेस: स्टोनसूप एंटरप्राइजेज
लोकेशन: कर्नाटक
किसी चीज को तब तक वेस्ट नहीं कहा जा सकता, जब तक उसका किसी भी तरह प्रयोग हो सकता है। थोड़ी सी कल्पनाशीलता और अनुशासन के साथ, जिसे हम वेस्ट कहते हैं, उसमें से ज्यादातर वस्तुओं को मूल्यवान बनाया जा सकता है। बेंगलुरु स्थित सोशल एंटरप्राइज स्टोनसूप बिल्कुल यही कर रहा है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियर स्मिता कुलकर्णी और आईआईएम कोलकाता की पूर्व छात्रा मालिनी परमार ने मिलकर स्टोनसूप की स्थापना की थी।
आईटी उद्योग में दस साल तक काम करने के बाद स्मिता एक सामाजिक कार्यकर्ता बन गईं। असल में एक इको-एंटरप्रेन्योर बनने से पहले स्मिता और मालिनी इको-वारियर्स थीं। स्मिता याद करते हुए कहती हैं, ‘हमने महसूस किया कि सेग्रिगेशन के बाद भी बचने वाला वेस्ट इतना ज्यादा होता है कि मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर से उसे मैनेज करना मुश्किल था।’ इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने और उनके साथी पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अपने आस-पास के लोगों को सस्टेनेबल लाइफ जीने और घर पर ही खाद बनाने के बारे में शिक्षित करना शुरू कर दिया। और 2015 में लोगों को आसान सस्टेनेबिलिटी सॉल्यूशन प्रदान करने के लिए स्टोनसूप की स्थापना हुई। स्मिता चाहती थीं कि कंपनी के उत्पाद दूर-दूर तक पहुंचें।
वह कहती हैं, ‘हमें वास्तव में इस विचार को आगे बढ़ाने के लिए लोगों के पास तक सस्टेनेबिलिटी को पहुंचाने की जरूरत है। और जनता तक पहुंचने के लिए फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म से बेहतर तरीका क्या हो सकता है!’ स्टोनसूप ने फ्लिपकार्ट समर्थ प्रोग्राम से हाथ मिला लिया। इस कदम ने स्टोनसूप के कंपोस्ट किट, मेंस्ट्रुअल कप और कपड़े के सैनिटरी पैड सहित विभिन्न उत्पादों के लिए घरेलू मार्केटप्लेस पर 50 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने का रास्ता खोल दिया। इस साझेदारी से जो रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं, उनसे अब तक 110 से अधिक महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। स्मिता कहती हैं, ‘हमने उन्हें घर पर मशीनें उपलब्ध कराई हैं। इससे काम करने के साथ-साथ वे अपने बच्चों और अन्य घरेलू जिम्मेदारियों को संभालने में भी सक्षम हुई हैं।’
स्टोनसूप के सभी उत्पाद ‘मेड इन इंडिया’ हैं। असल में, इनके रीयूजेबल पैड तमिलनाडु और कर्नाटक के छोटे गांवों और कस्बों के 20 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा अपने हाथों से बनाए जाते हैं। डिलीवरी नंबर और टाइमलाइन का निर्धारण उनकी उपलब्धता और टाइम कमिटमेंट के आधार पर होता है। सामाजिक समावेश के उद्देश्य के साथ एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्टोनसूप के कुछ पार्टनर सेंटर दिव्यांग महिलाओं को भी रोजगार देते हैं।
स्टोनसूप के प्रोडक्ट्स कचरे का पुन: उपयोग करके कचरा कम करने में मदद करते हैं। फर्म के अनुमान के मुताबिक, अब तक इसने 1.2 करोड़ पैड को लैंडफिल से हटाने में मदद की है और लगभग 10 टन गीले कचरे से रोजाना खाद बनाई जाती है। इसके अलावा प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक बैग की संख्या में 50 लाख की कमी आई है।
स्मिता केवल इसलिए एक सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को प्रोत्साहित नहीं करती हैं कि यह हमारी धरती के लिए अच्छा है, बल्कि यह हमारे खुद के लिए भी अच्छा है। वह आखिर में कहती हैं, ‘रोजाना की जिंदगी में कई डिस्पोजेबल चीजें, वास्तव में रीयूजेबल हैं। अगर हम जैसे शिक्षित लोग अब भी सतर्कता से कदम नहीं उठाएंगे, तो अपने पीछे बच्चों के लिए कचरे का पहाड़ छोड़कर जाएंगे।’
सेलर का नाम: पीयूष अग्रवाल
बिजनेस: शंख मथुरा
लोकेशन: उत्तर प्रदेश
भंवर में तैरना कभी आसान नहीं होता। लेकिन फ्लिपकार्ट ने पीयूष अग्रवाल के लिए एक लाइफबोट के रूप में काम किया और उन्हें बेरोजगार होने से बचाकर एक सफल उद्यमी बना दिया। मथुरा के निवासी पीयूष ने हमेशा अपने दम पर कुछ करने का सपना देखा था, लेकिन एमबीए की डिग्री लेने के बाद एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी के अलावा उनके पास कुछ भी नहीं था। इस काम ने उन्हें व्यस्त तो रखा, लेकिन वह इस बात को कभी नहीं भूल पाए कि वह वास्तव में जीवन से क्या चाहते हैं। लेकिन परिस्थितियों को कुछ और ही मंजूर था। महामारी आई और उसने उन्हें बेरोजगार कर दिया।
नई सोच और नए लक्ष्य के साथ उद्यमिता से जुड़े अपने आइडिया को लेकर नए सफर पर निकले पीयूष याद करते हुए कहते हैं, ‘लॉकडाउन के दौरान मैं कुछ भी नहीं कमा रहा था। इसलिए मैंने उन सभी चीजों के बारे में सोचना शुरू कर दिया, जो मैं कर सकता था। उस समय मैं इस दबाव और घबराहट में था कि आजीविका के लिए मुझे कुछ करना होगा।’
एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी के बेटे पीयूष हर जगह, हर चीज में अवसर तलाशते थे। और फिर एक दिन किसी ईश्वरीय इच्छा से उनके मन में ‘शंख स्टोर’ का विचार आया। वह मंदिरों के शहर और तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्ध मथुरा में रहते हैं, जहां हर दिन अनगिनत तीर्थयात्री आते हैं।
इस शहर में कई मंदिर हैं, जहां कुछ उत्पादों का बाजार तैयार है। वह कहते हैं, ‘जब मैं एक मंदिर में गया, तो मैंने देखा कि लोग अगरबत्तियां खरीद रहे थे। ऐसे कई मंदिर हैं, जिनमें बहुत सारे तीर्थयात्री हैं। मैंने अनुभव किया कि जब तक तीर्थयात्री हैं, वस्तुएं बिकती रहेंगी।’ आखिर पीयूष को वह मिल गया, जिसकी उन्हें तलाश थी। वह दृढ़ थे और उद्यमिता को लेकर उनकी सोच ने उन्हें शून्य से अपना व्यवसाय शुरू करने में मदद की।
अपने माता-पिता के साथ पीयूष ने घर पर ही हाथ से अगरबत्तियां बनाईं और स्थानीय स्तर पर बेचना शुरू किया। तीन महीने बाद ही उन्हें सफलता मिल गई। उसी समय उन्होंने फ्लिपकार्ट के साथ साझेदारी की और भारत के घरेलू ऑनलाइन मार्केटप्लेस में अपना ब्रांड – शंख लॉन्च किया। उनकी कंपनी अब ऑर्गेनिक अगरबत्ती, धूप स्टिक और धूप कोन बेचती है। पीयूष बताते हैं, ‘फ्लिपकार्ट प्लेटफॉर्म पर आने के बाद मुझे देश के सभी हिस्सों से ऑर्डर मिलने लगे। मैं जितना महीने में कमाता था, उतना हफ्ते में कमाने लगा।’ फ्लिपकार्ट पर मिली सफलता ने पीयूष को घर से बाहर निकलकर एक छोटी सी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में निवेश करने में मदद की। अब तक उन्होंने जो हासिल किया है, उस पर उन्हें गर्व है और वह रुकने को तैयार नहीं हैं। वह कहते हैं, ‘मेरी योजना इसे एक ऐसा बिजनेस बनाने की है जो हर महीने एक करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करे और मैं अपने उत्पादों को देश के हर घर में देखना चाहता हूं।’