निकायों में ओबीसी आरक्षण बिल प्रवर समिति के पास जाने से लटके निकाय चुनाव

उत्तराखण्ड

सरकार ने हाईकोर्ट में दिया था 25 अक्टूबर तक चुनाव कराने का शपथ पत्र
देहरादून। सरकार 25 अक्टूबर तक नगर निकाय के चुनाव संपन्न कराने का दावा कर रही है। दरअसल, निकाय चुनाव को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने 25 अक्टूबर तक नगर निकायों के चुनाव संपन्न कराने का हालफनामा दायर किया है, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने निकायों के आरक्षण तय किए जाने को लेकर जो विधेयक मानसून सत्र के दौरान सदन के पटल पर रखे गए उसको प्रवर समिति को भेज दिया गया है। ऐसे में प्रदेश में 25 अक्टूबर तक निकाय चुनाव संपन्न होने की संभावना पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
उत्तराखंड के नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुका है। जिसके बाद से सभी निकायों को प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। निकायों का कार्यकाल समाप्त हुए करीब 8 महीने का वक्त बीत चुका है। लेकिन इसके बाद भी अभी तक निकाय चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। जिसके चलते जसपुर में एक याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की। जिसकी सुनवाई के दौरान सरकार ने 25 अक्टूबर 2024 तक चुनाव कराने का दावा किया। हाल ही में हुए मानसून सत्र के दौरान सरकार ने निकाय चुनाव संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेज दिया है। ऐसे में 25 अक्टूबर तक निकाय चुनाव होने की संभावना नहीं लग रही है।
उत्तराखंड में निकाय चुनावों को लेकर अभी भी तस्वीर धुंधली नजर आ रही है। मानसून सत्र के दौरान सरकार ने सदन के पटल पर उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश नगर निगम अधिनियम – 1959) (संशोधन) विधेयक 2024 को रखा था। जिस पर चर्चा करने के बाद इन संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने पर सहमति बनी। साथ ही ये कहा गया एक महीने में प्रवर समिति इसका अध्ययन कर रिपोर्ट विधानसभा को सौंपेगी, लेकिन अभी तक प्रवर समिति का गठन नहीं हो पाया है।
ऐसे में संशोधन विधेयक का अध्ययन करने के लिए जब प्रवर समिति का गठन किया जाएगा उसके बाद एक महीने के भीतर प्रवर समिति अपना रिपोर्ट विधानसभा को सौंपेगी। जिसके आधार पर संशोधन विधेयक में संशोधन करते हुए विधानसभा में पारित किया जाएगा। इसके लिए सरकार विशेष सत्र या फिर शीतकालीन सत्र बुलाकर संशोधन विधेयक को पारित कर सकती है। जिससे साफ है कि इस पूरी प्रक्रिया में करीब दो से तीन महीने का वक्त लग सकता है। इसके बाद ही चुनाव कराने की दिशा में सरकार आगे बढ़ सकेगी, जबकि 25 अक्टूबर में महज 2 महीने का ही वक्त बचा है। ऐसे में इन दो महीने में चुनाव करना संभव नहीं दिखाई दे रहा है।
इस पूरे मामले पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बताया नगर निगम संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने का निर्णय सदन में हुआ है। साथ ही उन्होंने शहरी विकास मंत्री होने के नाते एक प्रस्ताव सदन में दिया था कि प्रवर समिति की जो सिफारिस होंगी उसको नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी लागू करने का प्रयास करेंगे।
सरकार की ओर से 25 अक्टूबर तक निकाय चुनाव कराने के दावों के बीच राजनीतिक सियासत भी चर्चाओं का विषय बनी हुई है। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने कहा कि सरकार की मंशा निकाय चुनाव कराने की नहीं है, क्योंकि भाजपा अपने हार के डर से निकाय चुनाव को टालना चाहती है। सरकार बार-बार निकाय चुनाव पर गोल-गोल जवाब दे रही है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह पहले अपने विधायकों और जनप्रतिनिधियों से भी निकाय चुनाव को लेकर राय ले लेनी चाहिए। साथ ही कहा कि अब जब चुनाव करने का समय आ गया तो फिर सोची समझी साजिश के तहत नगर निगम संशोधन विधेयक को प्रवर समिति को सौंप दिया गया है।
इस पूरे मामले पर भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता हनी पाठक ने कहा राज्य सरकार 25 अक्टूबर तक निकाय चुनाव करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। भले ही नगर निगम संशोधन विधेयक, प्रवर समिति को सौंप दिया गया हो इसका ये मतलब नहीं है कि प्रवर समिति की सिफारिश लंबे समय बाद आएगी। उन्होंने कहा भाजपा सरकार जो भी निर्णय लेती है तत्काल लेती है। उन निर्णयों को ठंडे बस्ते में नहीं डालती है। ऐसे में निकाय चुनाव को लेकर सरकार और संगठन पूरी तरह से तैयार है।

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