बर्लिन। जर्मनी में नई सरकार बनाने को लेकर चल रही उच्च स्तरीय बातचीत उद्योग समर्थित पार्टी एफडीपी के अलग होने के कारण टूट गई। इससे यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था राजनीतिक संकट में आ गई है और बदले हालात में चांसलर एंगेला मर्केल के करियर पर खतरा मंडरा रहा है। एक महीने लंबी बातचीत के बाद फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी के नेता क्रिश्चिन लिंडनेर ने कहा कि एंगेला के सीडीयू-सीएसयू और पारिस्थितिकी समर्थक ग्रीन्स के कंजर्वेटिव गठबंधन के साथ सरकार बनाने के लिए विश्वास का कोई आधार नहीं है।
लिंडनेर ने कहा कि खराब तरीके से शासन करने से बेहतर है कि शासन नहीं किया जाए। बातचीत आव्रजन पर अलग-अलग नजरिया होने समेत अन्य मुद्दों पर विवादित राय की वजह से बाधित हो गई। एंगेला की उदारवादी शरणार्थी नीति ने 2015 से 10 लाख से ज्यादा शरणार्थियों को जर्मनी आने दिया है। इससे खफा होकर कुछ मतदाताओं ने अति दक्षिणपंथी एएफडी का दामन थाम लिया, जिसने सितंबर के चुनावों में इस्लामफोबिया और आव्रजन विरोध मोर्चे पर प्रचार किया था।
सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी पहले ही एंगेला के साथ गठजोड़ करने से इनकार चुकी है जबकि एंगेला खुद भी अल्पसंख्यक सरकार चलाने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में जर्मनी में फिर से चुनाव कराने पड़ सकते हैं। सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबर बिल्ड दैनिक ने कहा कि गठबंधन को लेकर बातचीत विफल रहने की वजह से एंगेला की चान्सलरशिप खतरे में पड़ सकती है।