100 साल का अनुभव समेट दुनियां को अलविदा कह गईं मूसी देवी

उत्तराखण्ड

देहरादून : 100 साल की मूसी देवी का निधन हो गया। उम्र के इस पड़ाव में भी वह शारीरिक और मानसिक रूप से काफी मजबूत थीं। पिछले कुछ दिनों से मूसी देवी अस्वस्थ चल रही थीं।

मूसी देवी के पुत्र दर्शन सिंह मिगवाल ने बताया कि मां कुछ समय से अस्वस्थ चल रही थीं। आगामी पांच जुलाई को उन्हें 101 वर्ष पूरे होने थे। कहा कि उनकी मां इस उम्र में भी मानसिक व शारीरिक रूप से बेहद मजबूत थीं।

वह अपना काम खुद ही करना पसंद करती थीं। उन्होंने बताया कि मां को बच्चों के साथ खेलना बहुत पसंद था। वह अधिकांश समय बच्चों के साथ गुजारना पसंद करती थीं।

परिवार की थी मुखिया 

बेटे की शहादत के बाद मूसी देवी ने पौते को भी देश सेवा के लिए फौज में भेजने का जज्बा दिखाया। यही नहीं परिवार की मुखिया के तौर पर उनकी हर बात को सभी सदस्य गंभीरता से सुनते थे।

एक सदी का था अनुभव 

एक सदी के अनुभव को खुद में समेटे देहरादून की हाथीबड़कला निवासी मूसी देवी का यह लंबा-चौड़ा सफर महज संयोग नहीं, बल्कि उनकी जीवटता की देन था। तभी तो मूसी देवी शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्रिय नजर आती थीं।

बेटे की मौत की खबर से हुई थी विचलित 

वर्ष 1987 में सियाचिन में बेटे की मौत की खबर ने उन्हें तोड़कर रख दिया था। तब उन्हें लगता था कि जीवन में अब कोई उम्मीद बची ही नहीं है। कहते हैं कि वक्त हर जख्म को भर देता है। धीरे-धीरे मूसी देवी ने भी इस सनातन सच को स्वीकार लिया कि जीवन और मृत्यु किसी के हाथ में नहीं है। और…इसी की परिणति है कि करीब चार साल पहले गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद भी वह बीमारी को मात देकर फिर उठ खड़ी थी। आज आस-पड़ोस के लोग भी इस वयोवृद्ध ‘बच्ची’ मूसी देवी का सानिध्य पाकर खुद को धन्य समझते थे।

सेना से रहा करीबी रिश्ता

मूलरूप से सीमांत चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील के लंगासू गांव निवासी मूसी देवी के पति लक्ष्मण सिंह मिंगवाल भी सेना में थे। वर्ष 1973 में उनका निधन हुआ। उनके चार बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़े बेटे दर्शन सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं। दूसरे नंबर के दशरथ सिंह अपने पैतृक गांव लंगासू में खेती करते हैं।

नारायण सिंह वन विभाग से सेवानिवृत्त हैं, जबकि सबसे छोटे बेटे मोहन सिंह की वर्ष 1987 में ग्लेशियर के नीचे दबने से सियाचिन में मौत हो गई थी।

22 लोगों का है संयुक्त परिवार

मूसी देवी का संयुक्त परिवार आज भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। परिवार में उनके दो बेटों (दर्शन सिंह व नारायण सिंह) समेत कुल 22 लोग हैं। इनमें 16 पोते-पोती भी शामिल हैं।

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