अविरल गंगा के लिए अनशनरत जी डी अग्रवाल (स्वामी सानन्द) का निधन

उत्तराखण्ड

हरिद्वार/देहरादून- अविरल और स्वच्छ गंगा के लिए विशेष कानून बनाने की माँग को लेकर 114 दिनों से आमरण अनशन कर रहे 86 वर्षीय स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का आज दोपहर ऋषिकेश में निधन हो गया । बुधवार को पुलिस ने जबरन उन्हें अनशन स्थल से उठाकर एम्स में भर्ती कराया था। लेकिन अस्पताल में भी उन्होंने अनशन नहीं तोड़ा।
गंगा स्वच्छ न होने पर प्राण त्यागने का ऐलान करने वाली केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने बाद में विभाग ही छोड़ दिया लेकिन स्वामी सानंद इस मुद्दे पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे। उनका आरोप था कि बीजेपी सरकार गंगा के प्रति चाहे जितनी आस्था जताए, विकास के नाम पर वह सबकुछ करती रही जिससे गंगा का जीवन ख़तरे मे है।
स्वामी सानंद इससे काफ़ी दुखी थे। उन्होंने इस साल 13 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसका कोई जवाब नहीं आने पर 22 जून से उन्होंने अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया था। उन्होंने गंगा रक्षा के संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया था जिसके आधार पर एक्ट बनाने के लिए सरकार को 9 अक्टूबर तक का समय दिया था। जब यह माँग पूरी नहीं हुई तो 10 अक्टूबर से उन्होंने जल त्याग कर दिया।
स्वामी सानंद ने अपना पहला अनशन 2008 में किया था जिसकी वजह से सरकार को 380 मेगावाट की भैरोघाटी और 480 मेगावाट की पाला-मनेरी जल विद्युत परियोजनाएं ऱद्द करनी पड़ीं। 2009 में उन्होंने एक बार फिर अनशन किया जिसकेबाद लोहारीनाग-पाला परियोजना रुकी। उन्होंने 2011 में संन्यास ग्रहण किया था। उनका असली नाम गुरुदास अग्रवाल था और वे कानपुर आईआईटी में प्रोफेसर रह चुके थे।
वे केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य-सचिव भी थे।
स्वामी सानंद का मानना था कि जैसे पहले गंगा एक्शन प्लान के अंतर्गत अरबों रूपए खर्च करने के बावजूद गंगा की स्थिति में कोई सुधार नहीं बल्कि बिगाड़ ही हुआ है, उसी तरह राष्ट्रीय गंगा नदीघाटी प्राधिकरण व 2020 तक स्वच्छ गंगा मिशन के तहत भी अरबों रूपए खर्च हो जाएंगे और हमारे सामने पछताने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा।

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