महानिरीक्षक निबन्धन के नए फरमान से दुर्गम क्षेत्रों में स्थापित छोटे सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों का बजूद खतरे में

उत्तरप्रदेश उत्तराखण्ड दिल्ली हरियाणा

देहरादून- महानिरीक्षक, स्टाम्प एवं पंजीयन द्वारा पूर्व मे जनहित के नाम पर लागू किए गए नए नए प्रयोगों ने सब रजिस्ट्रार कार्यालयों के समीकरण पहले ही बिगाड़ रखा है।अब एक ताजा फरमान से तो छोटे विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में स्थापित सब रजिस्ट्रार कार्यालयों का बजूद ही खतरे मे पड़ने की संभावना बन गई है। . दरअसल महानिरीक्षक द्वारा जारी एक नवीन आदेश के अनुसार अब तक भूमि की रजिस्ट्री को उसी तहसील के क्षेत्र के सब रजिस्ट्रार कार्यालय मे कराना होता है इस नियम को समाप्त कर रजिस्ट्री क़ो जिले के किसी भी सब रजिस्ट्रार कार्यालय मे कराने की छूट दे दी गई है।उदाहरण स्वरूप विकासनगर क्षेत्र की भूमि खरीदने पर विकासनगर मे ही रजिस्ट्री कराने के नियम मे बदलाव कर दिया है, अब यह रजिस्ट्री देहरादून या ऋषिकेश में कराई जा सकेगी।इस नए फरमान को भी जनहित के नाम पर जारी किया गया है, परन्तु नकारात्मक परिणामों पर गौर नहीं किया गया है।राज्य के अनेक दुर्गम क्षेत्रों में इसी वर्ष प्रथम नियुक्ति के नाम पर 12 सबरजिस्ट्रार तेनात किए गए हैं।जिनके लिए विभाग अपनी पीठ ठोक रहा है।परन्तु ताजा फरमान से कम कार्य वाले ऐसे कार्यालयों में निस्संदेह वीरानी छा जाएगी और लोग दुर्गम मे स्थित सम्बंधित कार्यालय पर जाने के स्थान पर जनपद के सुगम स्थान पर स्थित कार्यालय में रजिस्ट्री कराएंगे। जनहित के नाम पर कार्यक्षेत्र समाप्त करना यदि इतना ही अच्छा है तो सोचने वाला बिन्दु यह है कि क्या निबन्धन के अलावा और किसी भी विभाग को जनहित से कोई सरोकार नहीं है तभी तो पुलिस, राजस्व, परिवहन आदि किसी ने भी कार्यक्षेत्र के सम्बन्ध मे अब तक ऐसा एक भी आदेश नहीं दिया गया है।माना जा रहा है कि दुर्गम क्षेत्रों के कार्यालयों को वीरान कर दैने वाला यह आर्डर वित्त मंत्री प्रकाश पन्त से बगैर अनुमति लिए या उनको नकारात्मक तथ्यों से अवगत कराए बगैर जारी किया गया है। ऐ