57 वर्षों के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली पंचगाईं के हक-हकूकधारियों के कंधों पर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। पंचगाईं से चयनित दस्तूरदार अब नियमित रूप से आगामी वर्षों में भी बाबा की सेवा करते रहेंगे। बीते वर्ष तक बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली को धाम पहुंचाने व शीतकालीन गद्दीस्थल तक वापस लाने जिम्मेदारी रांसी के ग्रामीण निभा रहे थे।
पंचगाईं डंगवाड़ी, भटवाड़ी, चुन्नी-मंगोली, पठाली-डुंगर-सेमला और किमाणा-पेंज के हक-हकूकधारी बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली को केदारनाथ से शीतकालीन गद्दीस्थल ला रहे हैं। बीते शुक्रवार को ही पंचगाईं से चयनित 12 सदस्यीय दस्तूरदार केदारनाथ पहुंच गए थे।
बाबा केदार के धाम के कपाट बंद होने के बाद दस्तूरदारों ने विधि-विधान से डोली को अपने कांधों पर विराजमान किया। डोली पहले पड़ाव रामपुर में पहुंच चुकी है। सोमवार को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल में विराजमान होगी। पंचगाईं हक-हकूकधारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष रघुवीर सिंह पुष्पवाण व पूर्व ब्लॉक प्रमुख व दस्तूरदार लक्ष्मी प्रसाद भट्ट ने बताया कि वर्ष 1964 से पहले पंचगाईं के हक-हकूकधारी ही बाबा केदार की डोली को शीतकालीन गद्दीस्थल से केदारनाथ पहुंचाते थे व वापस लाते थे। बीते दशकों में हक-हकूकधारियों ने इस कार्य को लेकर असमर्थता जताई थी। इस पर तत्कालीन श्रीबदरी-केदार मंदिर समिति ने नई व्यवस्था के तहत कुणजेठी व रांसी गांव के हक-हकूकधारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। अब पंचगाईं के लोगों ने इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए देवस्थानम बोर्ड को पत्र सौंपा था। उधर, रांसी के हक-हकूकधारियों ने देवस्थानम बोर्ड पर बिना सूचना व विश्वास में लिए बगैर हक छीनने का आरोप लगाया है।