पुरकाजी: समाज में हर व्यक्ति को शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली पानी व रोजगार जैसी मूूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है। विकास के लिए कोई भी सॉलिड प्लान न होने से पुरकाजी आज मार्डन विधानसभा बनने से अछूता रह गया है। क्षेत्रवासी आज भी विकास कार्यो के लिए तरस रहे है। लगातार गरीब तबके की अनदेखी हो रही है वहीं मौजूदा सरकार की नीतियों के चलते किसान व छोटे व्यापारियों का भी बुरा हाल है। राज्य व क्षेत्र की इस दसा को देखते हुए क्चस्क्क हाईकमान ने अपने ज़मीनी कैडर के अवलोकन के बाद वरिष्ठ समाजसेवी व एडवोकेट सुरेन्द्र पाल सिंह मैनवाल को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजऱ पुरक़ाज़ी विधानसभा से बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है। बसपा ने एक उच्च शिक्षित व बेदाग़ छवि के प्रत्याशी को टिकट देकर जहाँ विरोधी पार्टियों की परेशानी बढ़ा दी है वहीं यह भी सुनिश्चित कर लिया है कि ऐसा क़ानून का जानकार जन प्रतिनिधि क्षेत्र की समस्याओं को भी सदन के उच्च पटल पर रखकर क्षेत्रवासियों की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाएगा एवं क्षेत्र के विकास में पूर्ण योगदान देगा।
समाजसेवी सुरेन्द्र पाल सिंह मैनवाल ने बीते 40 साल से लगातार क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान किया है एवं राजनीतिक तथा सामाजिक स्तर पर पूर्ण सहयोग किया है। गत वर्ष मेंरठ मंडल की स्नातक सीट से विधान परिषद चुनावों में भी हिस्सा लेकर ऐडवोकेट सुरेन्द्र पाल सिंह ने नौ जि़लों में अपनी सम्मानजनक उपस्थिति दर्ज कराई थी।सुरेन्द्र पाल के अनुसार बसपा शासनकाल में लोगों में अमन चैन था। बहन -बेटियां सुरक्षित महसूस करती थी। बड़े-बुजुर्गो का सम्मान था, युवाओं को रोजगार मिला। यहीं नहीं गन्ने के दाम भी सबसे ज्यादा बसपा सरकार के दौरान बढ़ाए गए थे। एक लाख से अधिक सफ़ाई कर्मियों की भर्ती कराई। जिससे युवाओं में जोश रहता था। जबकि आज परिस्थितियां विपरित है। मौजूदा एवं पूर्व की सपा सरकार के जनप्रतिनिधि व जनता की समस्याओं का समाधान करने में पूर्णता असमर्थ रहे हैं जिससे लोगों केे हाथ खाली रह गए। आज भी क्षेत्र केे लोग विकास कार्य के लिए तरस रहे है।
कोरोना में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
सुरेन्द्र पाल ने कोरोना की महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जब लोग अपने घरों में बैठे थे। तो इस दौरान उन्होंने कोरोना संक्रमित पेशेंट से लेकर उनके परिवार की मदद के लिए तैयार रहे। इस बीच किसी को खाद्यान की परेशानी न हो इसके लिए भी वह लोगों को राशन व मेडिकल सुविधायें उपलब्ध कराते रहे। कोरोना काल में लोगों की मदद केे लिए वह 24 घंटेे खडे रहे।
शिक्षकों का अतिरिक्त भार हो कम
शिक्षकों का अतिरिक भार कम होना चाहिए। सरकारी स्कूलों मे लिपिकीय कार्यो के लिए अलग से कर्मचारी नियुक्ति की जाए जिससे शिक्षा की गुणवत्ता बढेगी व रोजगार सृजन होगा। शिक्षा मित्रों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ है उनको उचित मानदेय व उनके हक को पूरा सम्मान दिया जायेगा।
नहीं बना बस डिपो
सुरेन्द्र पाल सिंह मैनवाल के अनुसार पुरकाजी में लम्बेे समय से बस डिपो की मांग की जा रही है। जिसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका। पुरकाजी क्षेत्र में गंग नहर के पुल पर यात्री बस का संचालन प्रतिबंधित होने के कारण क्षेत्रवासी बेहद परेशान है गंग नहर पर नया पुल शीघ्र बनाया जाना आवश्यक है ताकि यातायात सुविधा हेतु बसों का सीधा संचालन शुरू हो सके।
पुरकाजी में तहसील बनाने की मांग
एडवोकेट सिंह ने बताया के क्षेत्र में एक तहसील की माँग भी लंबित है. जिससे आमजन को ख़ासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। श्री सिंह ने कहा के हम क्षेत्र में ना केवल तहसील लाने का कार्य करेंगे बल्कि मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच की माँग को भी विधानसभा में उठाएँगे ताकि जनता को न्याय के लिए दूर ना भगना पड़े। सुरेन्द्र पाल सिंह मैनवाल ने क्षेत्रवासियों को एक युवा सोच के साथ विकास के साथ रोजगार का आश्वासन दिया है।
प्राइवेटाइजेशन से रोजगार पर ब्रेक
सरकारी विभागों का प्राइवेटाइजेशन होने से युवाओं को रोजगार केे लिए परेेशान होना पड़ रहा है। सरकारी नौकरियों को लगातार प्राइवेटाइजेशन किया जा रहा है। लोगों को जन संमस्याओंं के लिए परेशान रहना पड़ रहा हैं।
फसलों को तबाही से बचाना जरुरी
किसान को उसकी मेहनत का भी उचित परिणाम नहीं मिल पा रहा है।
गंगा व सोलानी नदी के तेज बहाव से किसानों की फसलें तबाह हो रही है। जिसके लिए एक बांध बनाकर उसके बहाव को कंट्रोल करने की जरूरत हैै। इसके अलावा क्षेेत्र में अब तक स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बदहाल अवस्था में है। लोगों को छोटी छोटी बीमारी केे लिए भी दूर जाना पड़ रहा है। यहां अब तक कोई भी अच्छा सरकारी हॉस्पिटल नहीं है।
शिक्षा की स्थिति में हो सुधार
युवाओं की शिक्षा की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। इसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र में स्कूलों व डिग्री कॉलेेज की स्थिति ठीक न होना है। इसके कारण युवाओं को कई किलोमीटर दूूर जाना पड़ता है। ऐसे में बालिकाएं तो कॉलेज ही नहीं जा पाती है। शिक्षा के लिए जनप्रतिनिधि उचित योजना नहीं बना पाए है। आधुनिक युग के अनुसार शिक्षा संस्थानों का आधुनिकरण आवश्यक है क्षेत्र में एक अच्छा डिग्री कॉलेज होना अतिआवश्यक है।