देहरादून। कोटद्वार विधानसभा सीट पर रितु खंडूड़ी भूषण की जीत ने कई मिथक तोड़ दिए। कोटद्वार सीट से पहली बार महिला बतौर विधायक सदन में पहुंचेगी। उसके साथ ही ठाकुर बाहुल माने जाने वाली इस सीट से पहली बार ब्राह्मण चेहरे ने जीत हासिल की है। 26 जनवरी को जब भाजपा ने कोटद्वार सीट से रितु खंडूड़ी भूषण को मैदान में उतारा तो आमजन के जेहन में 2012 को चुनावी रण कुलांचे मारने लगा। इस चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी मैदान में उतरे थे। जबकि कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह नेगी पर दांव खेला था। मुख्यमंत्री पद पर रहने के बावजूद इस चुनाव में खंडूड़ी को हार का मुंह देखना पड़ा। इधर, कोटद्वार सीट से रितु खंडूड़ी के नाम का ऐलान होते ही पार्टी कार्यकर्त्ता धीरेंद्र चौहान ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंक दी। हालांकि, रितु ने स्वयं भी धीरेंद्र चौहान को मनाने के कई प्रयास किए। किन्तु उसमें उन्हंे कोई सफलता हाथ नही लगी। मतदान से करीब 12 दिन पहले कोटद्वार पहुंची रितु जब तक क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति समझती, कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी व निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान का प्रचार चरम पर था। इधर, भाजपा संगठन भी पूरी तरह बिखरा नजर आ रहा था। इतना ही नहीं, रितु के चुनाव दंगल में उतरने के बाद जातिवादी समीकरण को भी रंग दिया जाने लगा। लेकिन, तमाम मिथकों को तोड़ रितु खंडूड़ी भूषण ने जीत हासिल की।