सुखी नदियों को पुनर्जीवित करने के बहाने भाजपा करायेगी खनन, भाजपा के दलाल हो रहे चार्ज : आज़ाद अली

उत्तराखण्ड

देहरादून। सूखी नदीयों को बचाने की सरकारी मुहिम पर सवालिया निशान खड़ा करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली ने कहा कि नदियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है और राज्य सरकार सूखी नदीयों पर करम फरमा रही है। उन्होंने कहा कि बहती नदियों में गंदगी डालकर उन्हें सड़ाया जा रहा है। बजाय उनकी सुध लेने के अब राज्य सरकार सूखे पत्थरों को बचाने चली है वाकई यह बेहद आश्चर्यजनक है।

उन्होंने सरकार की मंशा पर संदेह प्रकट करते हुए कहा कि राज्य की भाजपा सरकार नदियों को पुनर्जीवित करने के बहाने इनमें अवैध खनन के कार्यों को बढ़ावा देना चाह रही है किंतु अब राज्य की जनता के समझ मे आ रहा है कि सुखी नदियां जीवित हो या ना हो पर इनमें खनन होना तय है।

आजाद अली ने आसन नदी का उदाहरण देते हुए कहा कि गौतम ऋषि जी की तपस्थली आसान नदी पर धड़ल्ले से अतिक्रमण किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री का ओएसडीे स्वयं आसन नदी में अतिक्रमण करवा रहा है और सीएम नदियों को पुनर्जीवित करने की बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुखी नदियों को पुनर्जीवित करने के बहाने अब भाजपा खनन करायेगी। मुख्यमंत्री की इस कवायद से से भाजपा के दलाल चार्ज हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अभी राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों और प्राकृतिक स्रोतों, नदियों और नालो आदि की पूर्ण जानकारी नहीं है।

आजाद अली ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आरएसएस के हाथों की कठपुतली है और अज्ञानी होने के कारण वे आरएसएस की उंगलियों पर नाच रहे हैं। उन्होंने कहा कि आसन नदी जो गौतम ऋषि की तपस्थली से निकलती है और कई खेतों को सींचते हुए यमुना नदी में मिलती है। जिस नदी के जल में देश विदेश से हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं और अठखेलियां करते हैं। ऐसी पवित्र नदी के जल को दूषित करने के लिए क्षेत्र का एक बड़ा नेता दूषित जल का नाला धड़ल्ले से आसन नदी में गिर रहा है किंतु राज्य सरकार ने अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। ऐसे में नदियों को पुनर्जीवित करने की बात बेमानी ही साबित होगी।

 

 

उन्होंने कहा कि नदियों को पुनर्जीवित करने के बहाने सिर्फ खनन का खेल किया जाएगा वरना सरकार सुखी नदियों से ही इस कार्य की पहल क्यों करती। बहती नदियों की गंदगी को साफ करने की कोशिश भाजपा सरकार क्यों नहीं कर रही है। गौरतलब है कि पूर्व में भी केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नमामि गंगे नामक परियोजना की शुरुआत की गई थी।  जिसके अंतर्गत गंगा और उसकी सहायक नदियों की साफ सफाई का जिम्मा भाजपा ने उठाया था किंतु कुछ समय बाद ही यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई और भाजपा की असलियत से पर्दा उठ गया। अब सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता जान चुकी है  कि नदियों के रखरखाव और साफ सफाई के प्रति भाजपा कितनी गंभीर है। उसके यह चोचले महज जनता का ध्यान असल मुद्दों से भटकाने के लिए है ना कि किसी विकास कार्य के लिए।

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