देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड में गुरू शिष्य परंपरा का अदभुद संगम आज गुरू पूर्णिमा महोत्सव में देखने को मिला। ज्ञानरूपी सागर में गोता लगाने के लिए राजपुर रोड़ स्थित शिव बालयोगी आश्रम में शिष्यों का कारवां निकला। पादुका पूजन, आरती और भण्डारे के साथ शिष्यों ने इस समागम को उत्सवी बनाया। शास्त्रों में गुरू का विशेष दर्जा दिया गया है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन खीर का प्रसाद बनाकर सभी में वितरित करना बहुत शुभ माना जाता है। खासतौर पर जिन लोगों का चन्द्रमा सही न हो उनके लिए यह अति फलदायक है। गुरू पूर्णिमा सावन के पहले महीने से शुरू हो जाता है। पूर्णिमा के दिन विष्णु की भी पूजा की जाती है। यही नहीं इस दिन साबूदाने की खीर बनाकर माता लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए।
अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष को गुरू पूर्णिमा मनाई जाती है। आज 27 जुलाई को राजपुर रोड़ स्थित शिव बालयोगी के परांगण में बाबा शिव बालयोगी के सान्ध्यि में सैकड़ों भक्तों ने गुरू पूर्णिमा महापर्व मनाया। यह पर्व बिहारी महासभा द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें महासभा और आश्रम भक्तों सहित सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरूआत गुरू वंदना के साथ हुई। आश्रम में गुरू अम्बा शिवरंजनी ने गुरू वंदना प्रस्तुत कर गुरू को याद किया। उसके बाद आश्रम के कलाकारों ने गुरू वंदना प्रस्तुत किया। इसके बाद पाठ-पूजन और सत्संग का आयोजन किया गया। इस मौके पर गुरू महाराज श्री शिव बालयोगी ने कहा कि आश्रम अध्यात्म का केंद्र है। यहां पर विभिन्न धर्म, समुदाय के लोग आकर आध्यत्म की प्राप्ति करते हैं। गुरू पूर्णिमा में शिष्यगण गुरू पदपंकज की पूजा करते हैं और जीवन में सजगता लाते हैं। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गुरू शिष्य परंपरा के अनुसार गुरू पूर्णिमा कार्यक्रम मनाया। कार्यक्रम में बाबा शिव बालयोगी, साध्वी अंबा शिवरंजनी, राजा उदय प्रताप सिंह के साथ साथ बिहारी महासभा के अध्यक्ष सतेन्द्र सिंह, सचिव चन्दन कुमार, कोषाध्यक्ष रितेश कुमार, कार्यक्रम संयोजक ललन सिंह, राष्ट्रीय स्वंयसेवक के आलोक सिन्हा के साथ साथ अमेन्द्र कुमार, राजेश कुमार, रेनु बी. सिंह, शशिकान्त गिरि, डाॅ रंजन कुमार, विनय यादव, रवि यादव, विजय पाल, गनेश साहनी सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित थे।