उत्तराखंड में पिछले चार साल से आबकारी विभाग को करोड़ों रुपये का चूना लग रहा है। इसकी वजह शराब की दुकानों से करोड़ों के अधिभार की वसूली न हो पाना है। अब तक विभाग को 93 करोड़ के राजस्व की चपत लग चुकी है। आबकारी मंत्री यशपाल आर्य ने मंगलवार को इस मामले में गहरी नाराजगी जाहिर की और सचिव आबकारी को जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
उन्होंने सचिव को यह निर्देश भी दिए कि विभाग में फर्जी बैंक गारंटी जमा कर लाइसेंस लेने वालों की पहचान की जाए और ऐसे मामले पकड़ में आने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। कहा कि अगली विभागीय बैठक में इन दोनों जांचों के बारे में रिपोर्ट तलब की जाएगी। मंगलवार को विधानसभा में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक के बाद आबकारी मंत्री ने निर्देशों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से लेकर 2020 की अवधि में विभागीय अधिकारियों ने कई जिलों में अधिभार की वसूली नहीं की। इससे विभाग को अब तक 93 करोड़ रुपये का राजस्व नहीं मिल पाया है। इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच करने और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए गए।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली कि शराब की दुकान के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए फर्जी बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया गया है। कहा कि ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई होगी। बैठक में सचिव आबकारी सचिन कुर्वे, अपर आयुक्त प्रशासन उदय सिंह राणा, अपर आयुक्त मुख्यालय एआर सेमवाल, संयुक्त आयुक्त बी एस चौहान, रमेश सिंह एवं टीके पंत आदि सहित अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद थे।