उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल समेत छह लोगों को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लक्ष्मण सिंह की अदालत ने 11 साल पुराने बलवे के मुदकमे में बरी कर दिया है। पुलिस ने आरोप तो लगाया था कि सड़क पर जाम लगा और जनता को परेशानी हुई लेकिन अदालत में पेश 21 गवाहों में से एक भी गवाह जनता का व्यक्ति नहीं था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुनील राघव ने बताया कि वर्ष 2010 में तत्कालीन डोईवाला कोतवाल ट्रेनी आईपीस पी रेणूका देवी ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था। व्यापारी इसका विरोध कर रहे थे। विरोध प्रदर्शन में तत्कालीन विधायक अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी शामिल हुए। पुलिस के अनुसार इस प्रदर्शन के कारण दो-ढाई घंटे जाम लगा रहा। इस पर पुलिस ने 27 लोगों के खिलाफ बलवा, घातक हथियारों को लेकर बलवा करना, विधि विरुद्ध जमाव, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाना के आरोप में मुकदमा दर्ज किया। मुकदमे में वादी तत्कालीन कोतवाल पी रेणूका देवी ही थीं। उन्होंने लिखा था कि इस जाम के कारण कई एंबुलेंस फंस गईं, स्कूली बच्चों की बसें अटकी रहीं। मुकदमे में 16 दिन बाद विधायक प्रेमचंद अग्रवाल का नाम भी जोड़ा गया। इसके बाद कुल 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखि की गई। अभियोजन की ओर से मुकदमे में कुल 21 गवाह प्रस्तुत किए।