इस तारीख से खुलेंगे हेमकुंट साहिब के कपाट, बर्फ हटाकर सेना ने साफ किया रास्ता

उत्तराखण्ड
  • उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल Koo पर इसकी जानकारी दी

देहरादून: हेमकुंट साहिब तक बर्फ हटाने का काम भारतीय सेना और गुरुद्वारा ट्रस्ट हेमकुंट साहिब ने पूरा कर लिया है। गढ़वाल हिमालय में 15,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे गुरुद्वारे हेमकुंट साहिब के दर्शन के लिए रविवार को भारतीय सेना के जवानों ने बर्फ हटाकर रास्ता साफ कर दिया। हेमकुंट साहिब का सफर भी कोरोना काल में दो साल तक रुका हुआ था, लेकिन इस साल हेमकुंट साहिब की यात्रा शुरू करने की पूरी तैयारी की जा रही है।

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शैल सुन्दर अति हिमालय, शुभ मन्दिर सुन्दरम् । निकट मन्दाकिनी सरस्वती, जय केदार नमाम्यहम् ।। View attached media content

Pushkar Singh Dhami (@pushkarsinghdhami) 27 Apr 2022

यहां पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के साथ-साथ विदेश से भी सिख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े, इसके लिए गुरुद्वारा कमेटी ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। सेना की मदद से पैदल मार्ग से 7 से 8 फीट तक लगभग 4 किमी तक बर्फ साफ हो गई है। भारतीय सेना के जवानों ने 8 से 9 फीट बड़े ग्लेशियरों को काट दिया है, ताकि उनके बीच एक रास्ता बनाया जा सके। स्वदेसी मंच, कू यह बात हर कोई कर रहा है कि आखिरकार अब हेमकुंट साहिब की यात्रा की जा सकेगी। रास्ता खोलने के लिए भारतीय सेना हमेशा से जिम्मेदार रही है। हेमकुंट साहिब गुरुद्वारे की 18 किलोमीटर की कठिन यात्रा गोविंदघाट से शुरू होती है। पहला जत्था ऋषिकेश से 19 मई को हेमकुंट साहिब के दर्शन के लिए रवाना होगा।

अभी भी 7 से 8 फीट बर्फ जमी हुई है
गुरुद्वारा ट्रस्ट और भारतीय सेना के जवानों ने श्री हेमकुंट साहिब में पवित्र गुरुद्वारा साहिब में माथा टेका है। भारतीय सेना के अधिकारियों ने बताया कि धाम में अभी भी 7 से 8 फीट बर्फ है। बर्फ के कारण पवित्र झील जम गई है, लेकिन मई तक बर्फ पिघलने की पूरी संभावना है।

मुख्य सचिव 29 अप्रैल को आएंगे
बर्फ साफ होने के बाद हेमकुंट साहिब का रास्ता ठीक हो जाएगा। इसके बाद यहां यात्रियों को किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। यात्रा की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव एसएस संधू भी 29 अप्रैल को पहुंच रहे हैं।

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