प्रदेश में नजूल नीति अधिनियम बनने तक लागू रहेगी

उत्तराखण्ड
  • राज्य कैबिनेट की बैठक में लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णय

देहरादून। राज्य कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। प्रदेश में नजूल नीति अधिनियम बनने तक लागू रहेगी। दिसंबर में नजूल नीति की समय सीमा खत्म हो गई थी, प्रदेश मंत्रिमंडल ने इसे फिर से लागू करने की मंजूरी दे दी। प्रदेश के नौ छावनी क्षेत्र अल्मोड़ा, रानीखेत, लैंसडौन, देहरादून, क्लेमेंटटाउन, नैनीताल, रुड़की, चकराता व लंढौर के गैर सैनिक नागरिक क्षेत्रों को बाहर रखने का फैसला ले लिया गया है।
उत्तराखंड मूल्यवर्धित कर अधिनियम (वैट) का बकाया टैक्स जमा करने के लिए प्रदेश सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है।
सचिवालय में सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 16 में से 15 प्रस्तावों पर मुहर लगी। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। नजूल नीति के प्रभावी होने से देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल के हल्द्वानी क्षेत्र के शहरी क्षेत्रों में नजूल भूमि पर काबिज हजारों परिवारों को राहत मिलेगी। सरकार ने अधिनियम बनाने के लिए विधेयक विधानसभा से पारित कर राजभवन भेजा था। राजभवन ने इसे केंद्र सरकार के विचाराधीन भेज दिया था। जब तक अधिनियम नहीं बनेगा तब तक नीति के तहत नजूल भूमि फ्री होल्ड कराई जा सकेगी। कैबिनेट ने प्रदेश के नौ छावनी क्षेत्र अल्मोड़ा, रानीखेत, लैंसडौन, देहरादून, क्लेमेंटटाउन, नैनीताल, रुड़की, चकराता व लंढौर के गैर सैनिक नागरिक क्षेत्रों को बाहर रखने का सैद्धांतिक फैसला ले लिया है। इन क्षेत्रों में आवागमन और अन्य सुविधाओं को लेकर नागरिक क्षेत्रीय आबादी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। मुख्य सचिव के मुताबिक, छावनी क्षेत्रों के अभी भूमि व कर्मचारियों से संबंधित मुद्दे हैं, जिनके समाधान के लिए अभी और बैठकें होंगी। विधानसभा सत्र आहूत करने के प्रस्ताव पर कैबिनेट ने निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री को दे दिया। सरकारी नौकरियों में राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक को लेकर सत्र आहूत करने की मांग हो रही है।
हाईकोर्ट गौलापार (हल्द्वानी) में जिस स्थान पर शिफ्ट होगा, कैबिनेट ने उस स्थान के आसपास के क्षेत्रों में नियोजित विकास के लिए फ्रीज जोन घोषित करने का निर्णय लिया है। मास्टर प्लान बनने तक यहां भूमि की खरीद-फरोख्त नहीं हो सकेगी। एक साल में मास्टर प्लान बनकर तैयार हो जाएगा। नया हाईकोर्ट 26.08 हेक्टेयर भूमि पर बनेगा।
उत्तराखंड मूल्यवर्धित कर अधिनियम (वैट) का बकाया टैक्स जमा करने के लिए प्रदेश सरकार ने वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को तीन माह के लिए बढ़ा दिया। इससे पांच हजार व्यापारियों को राहत मिलेगी। स्कीम के तहत बकाया टैक्स जमा करने पर ब्याज और अर्थदंड में छूट का लाभ मिलेगा।
कैबिनेट ने हरिद्वार-ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर की स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) निरस्त कर दी है। अब यह कार्य उत्तराखंड निवेश व अवस्थापना विकास बोर्ड (यूआईआईडीबी) करेगा। सीएम की अध्यक्षता में बोर्ड की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था। कैबिनेट में उत्तराखंड में गन्ना मूल्य बढ़ाने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बनीं। गन्ने का मूल्य 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने का प्रस्ताव था। अपर मुख्य सचिव वित्त को गन्ना मूल्य बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कैबिनेट के अन्य फैसलों में राजकीय महाविद्यालयों में सहायक अध्यापकों के 25 खाली पदों पर संविदा से भर्ती होगी।
स्मार्ट सिटी के लिए एमडीडीए के तहत बनाई ग्रेटर दून विकास प्राधिकरण लि. समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। उत्तराखंड आयुष विभाग में मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर नहीं अपर निदेशक ही निदेशक बनेंगे। खटीमा सिविल कोर्ट परिसर में अधिवक्ता चैंबर बनाने के लिए भूमि 90 नहीं 30 वर्ष की लीज पर मिलेगी। पेराई सत्र 2023-24 के लिए डोईवाला, किच्छा, नादेही व बाजपुर चीनी मिल के गन्ना मूल्य भुगतान के लिए 409.47 करोड़ की प्रत्याभूति मंजूर की गई। श्री केदारनाथ धाम में ओम मूर्ति को रखे जाने वाले स्थान के निर्माण का कार्य गुजरात वडोदरा की इनफाइन आर्ट वेंचर कंपनी को मिला है। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के विभिन्न सेवा संवर्गों के सीधी भर्ती के पदों पर संविलियन किए जाने को नियमावली मंजूर की गई है। सिंचाई विभाग में राज्य बांध सुरक्षा संगठन हर वर्ष के आखिर तीन माह के भीतर अपनी गतिविधियों की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। यूपीसीएल की वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 की वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखी जाएगी।

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