मेरठ- आज दीवान इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के षिक्षा विभाग में ‘‘क्रियात्मक अनुसंधान’’ पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। अतिथि व्याख्याता स्वामी विवेकानन्द सुभारती विष्वविद्यालय के षिक्षा विभाग के अध्यक्ष व डीन प्रोफेसर बी0सी0 दुबे ने बी0एड0 के छात्रों व प्रवक्ताओं के समक्ष क्रियात्मक अनुसंधान पर प्रभावषाली भाशण दिया। अपने भाशण में उन्होंने पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतीकरण के माध्यम से ‘‘क्रियात्मक अनुसंधान’’ का अर्थ, उसका इतिहास, उसकी षोध से तुलना, मुख्य पद, मुख्य अवधारणाएँ आदि की जानकारी दी। कार्यक्रम का प्रारम्भ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 एस0पी0 सिंह तथा मुख्य वक्ता डॉ0 बी0सी0 दुबे ने माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। साथ ही प्राचार्य महोदय ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह व गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। प्रो0 बी0सी0 दुबे ने कहा कि कक्षाओं की प्रतिदिन आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु क्रियात्मक अनुसंधान का सहारा लिया जाता है। सभी के समक्ष कक्षाओं में होने वाली समस्याओं को लेकर क्रियात्मक अनुसंधान विधि से निराकरण करने के कई उदाहरण प्रस्तुत किये। उन्होंने कहा कि अध्यापक को छात्रों की हर सम्भव सहायता करनी चाहिए। क्योंकि जो अध्यापक है वह सबसे अधिक भाग्यषाली है क्योंकि वह ज्ञान देता है। व्याख्यान के अन्त में दुबे जी ने छात्रों की समस्याओं का निराकरण किया उसके बाद प्राचार्य जी ने दुबे जी को धन्यवाद ज्ञापित किया और छात्रों के समक्ष सकारात्मक विचार रखकर उनकों प्रेरित किया।
कार्यक्रम के आयोजन में प्राचार्य डॉ0 एस0पी0 सिंह, राकेष केषरी, डॉ0 सचिन कौषिक, चंचल त्यागी, हरिकृश्ण षर्मा, विनेष कुमार, डॉ0 सुजा जार्ज स्टनले, पुश्पेन्द्र कुमार, ज्योति पुण्डीर, डॉ0 प्रिन्स परमार व डॉ0 एच0एन0 तिवारी का विषेश योगदान रहा। रिपोर्ट-सलीम अहमद