नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार और सभी 13 जिलों के जिलाधिकारियों से उन उद्योगों, होटलों, आश्रमों आदि को ‘चिन्हित’ और ‘सील’ करने को कहा है जो गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित प्रदेश की नदियों में बिना शोधन के जल मल डालकर उन्हें प्रदूषित कर रहे हैं। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सोमवार को दिये अपने आदेश में कहा है कि गंगा में प्रदूषण सहन नहीं किया जायेगा और अपने अशोधित सीवेज को सीधे पवित्र नदी में डालने वाले उद्योग, होटल, धर्मशालाओं को तीन सप्ताह के भीतर सील कर दिया जाना चाहिए।
इससे पहले, उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गंगा को प्रदूषित कर रहे 150 प्रतिष्ठानों को पहले ही बंद किया जा चुका है। प्रदेश की जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए अदालत ने टाइगर रिजर्व, हाथी रिजर्व, जिम कार्बेट और राजाजी राष्ट्रीय पार्क को भी प्लास्टिक मुक्त जोन घोषित कर दिया। आदेश में कहा गया है कि इन पार्को में किसी भी पर्यटक को पानी की दो बोतलों के अलावा किसी भी प्रकार का प्लास्टिक बैग ले जाने जाने की अनुमति नहीं होगी। पानी की खाली बोतलों को भी उन्हें बाहर जाते वक्त पार्क स्टाफ को सौंपना होगा।
आदेश में कहा गया है कि पार्क के प्रवेश और निकास द्वार पर तैनात व्यक्ति इस आदेश के पालन का सुनिश्चित करेंगे।प्रदेश में आपदा प्रबंधन के बारे में अदालत ने अपना मत प्रकट करते हुए कहा कि श्रद्धालुओं के जीवन को बचाने के लिए क्षेत्र की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर चारधाम और हेमकुंड साहिब में सरायों और ठहरने के पर्याप्त स्थानों की अब भी आवश्यकता है।