दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने मौजूद तीन चुनौतियों का जिक्र किया.
स्विटजरलैंड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के 48वें समिट में मंगलवार को पीएम मोदी ने उद्घाटन भाषण दिया। उद्घाटन सत्र में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज तीन समस्याएं मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है- जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और वैश्विकरण के बीच आत्मकेंद्रित होना। ये तीनों दुनिया के सामने आज सबसे बड़ी चिंताएं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा, दावोस में आख़िरी बार भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा सन् 1997 में हुई थी, जब श्री देवे गौड़ा जी यहाँ आए थे। 1997 में भारत का जीडीपी सिर्फ़ 400 बिलियन डॉलर से कुछ अधिक था। अब दो दशकों बाद यह लगभग 6 गुना हो चुका है. इसके आगे उन्होंने कहा, ‘1997 में भी दावोस अपने समय से आगे था, और यह ‘विश्व आर्थिक मंच’ भविष्य का परिचायक था. आज भी दावोस अपने समय से आगे है|
विश्व आर्थिक मंच में पीएम नरेंद्र मोदी के संबोधन की 10 अहम बातें.
भारतीय परम्परा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में. हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया- “भूमि माता, पुत्रो अहम् पृथ्व्याः” यानि, we the human are children of Mother Earth
Globalisation के विरुद्ध इस चिंताजनक स्थिति का हल अलगाव में नहीं है. इसका समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है.
हम मानते हैं कि प्रगति तभी प्रगति है, विकास तभी सच्चे अर्थों में विकास है जब सब साथ चल सकें.
पीएम मोदी ने कहा: अनिश्चिता और तीव्र परिवर्तनों के इस दौर में एक भरोसेमंद, टिकाऊ, पारदर्शी और प्रगतिशील भारत एक अच्छी खबर है.
WEF: पीएम मोदी ने आतंकवाद पर ‘पाकिस्तान’ को घेरा, कहा- ‘गुड टेररिस्ट, बेड टेररिस्ट’ कुछ नहीं होता
पीएम ने कहा कि ‘गुड टेररिस्ट, बेड टेररिस्ट’ में फर्क करनेवाला सबसे खतरनाक है. उन्होंने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे अहम चुनौती बताया.
70 साल के स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश में एक एकीकृत कर व्यवस्था goods and service tax – GST – के रूप में लागू कर ली गई है. पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए हम technology का इस्तेमाल कर रहे हैं.
भारत में democracy, demography और dynamism मिल कर development को साकार कर रहे हैं, destiny को आकार दे रहे हैं.
विश्व में तमाम तरह के फ्रैक्चर और तमाम तरह की दरारों को देखते हुए, यह आवश्यक है कि हमारे साझा भविष्य के लिए हम कई दिशाओं पर ध्यान दें.
पीएम मोदी ने कहा, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का भारतीय दर्शन आज दुनिया में खिंची दरारों को पाटने की दृष्टि में अधिक प्रासंगिक है.
मौजूदा दौर में तकनीक का महत्व काफी बढ़ा है, यह हमारे तौर तरीकों, राजनीति और जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रभावित कर रही है.