देहरादून। निजी मेडीकल कालेजों में एम0बी0बी0एस0 कोर्स की फीस में चार-पांच गुना वृद्धि के मामले में छात्रों व अभिभावकों के आन्दोलन का अब असर दिखने लगा है। उत्तराखण्ड सरकार ने प्रदेश के तीनों निजी मेडीकल कालेजों को नोटिस जारी कर फीस वृद्धि पर जवाब मांगा है वहीं अभिभावक संघ ने आक्रामक तेवरों को और तीखा करते हुए फीस वृद्धि मामले की जांच की मांग की है।
प्रदेश सरकार ने भेजा नोटिस
पहले कैबिनेट में प्रस्ताव पास करने के बाद विधानसभा में विधेयक पास कर निजी विश्वविद्यालय मान कर मेडीकल कालेजों को फीस तय करने की छूट दे दी थी। परन्तु छात्रों व अभिभावकों के आन्दोलन पर डटे रहने और मीडिया में जम कर तूल पकड़ने के बाद आखिरकार सरकार ने अपना रूख बदलते हुए प्रदेश के तीनों निजी मेडीकल कालेजों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि जब अभी तक सरकार ने कोई शासनादेश जारी नहीं किया है तो फिर फीस किस आधार पर बढ़ा दी गई। सरकार के इस आदेश की जानकारी उच्च शिक्षा राज्यमंत्री धन सिंह रावत ने मीडिया को दी।
अम्ब्रैला एक्ट भी लायेगी सरकार
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा0 धन सिंह रावत ने पत्रकारों को यह भी जानकारी दी कि निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमर्जी से फीस वृद्धि न कर सकें, इसके लिये उनपर नियंत्रण करने के लिये उत्तराखण्ड सरकार अम्ब्रैला एक्ट भी लायेगी।
सरकार के नोटिस पर अभिभावक संघ की प्रतिक्रिया
अभिभावक संघ के मुख्य संरक्षक रवीन्द्र जुगरान ने फीस वृद्धि मामले की जांच की मांग करते हुए कहा है कि जब अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है तो निजी मेडीकल कालेजों ने किस आधार पर फीस बढ़ा दी, इस मामले की जांच आवश्यक है।
हाईकोर्ट स्वतः संज्ञान ले
अभिभावक संघ के मुख्य संरक्षक रवीन्द्र जुगरान ने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय से अपील की कि इस मामले में निहित जनहित को देखते हुए स्वतः संज्ञान लेकर मेडीकल छात्रों को न्याय दिलाया जाना चाहिए।