(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून। अयोध्या में राममंदिर, काश्मीर में धारा 370 के साथ-साथ तीसरे प्रमुख सैद्धान्तिक मुद्दे समान नागरिक संहिता को पूरी तरह भूल चुकी इस बदली भाजपा को गैर आरक्षित वर्गों ने सबक सिखाने का फैसला कर लिया है, जिस कड़ी में पिछले दिनों पदोन्नति में आरक्षण व एस0सी0/एस0टी0 एक्ट के मुकदमों में सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाईन का पालन करने की प्रमुख मांगों के साथ अखिल भारतीय समानता मंच के देहरादून व अल्मोड़ा में सम्पन्न प्रदर्शनों को मिली कामयाबी ने यह अहसास करा दिया कि सत्ता के दम्भ में चूर भाजपा 2019 में 50 सीटों का आंकड़ा भी छू लेगी ऐसा नामुमकिन प्रतीत होता है।
-राममन्दिर के मामले में रामभक्तों से हुआ विश्वासघात
दो सीटों वाली भाजपा के ग्राफ में निर्विवाद रूप से अयोध्या में राममन्दिर के आन्दोलन को प्रमुखता से उठाने के चलते ही शानदार इजाफा हुआ और उसका राष्ट्रव्यापी प्रभुत्व स्थापित हुआ। परन्तु नरेन्द्र मोदी सरकार के पूर्ण बहुमत में होने के बावजूद चार वर्षों बाद भी कोई सार्थक पहल न करना प्रकारान्तर से रामभक्तों से विश्वासघात है। ‘‘जिस हिन्दू का खून न खौले-खून नहीं वो पानी है’’, ‘‘सौगन्ध राम की खाते हैं-मन्दिर वहीं बनायेंगे’’ जैसे हृदयस्पर्शी नारों से पूरे हिन्दू समुदाय में भाजपा ने अपना विशेष स्थान बना लिया था। यदि मोदी सरकार चाहती तो राममन्दिर के सम्बन्ध में विधेयक लाकर राममन्दिर के पक्ष में अपने दृढ़ संकल्प को प्रकट कर सकती थी, परन्तु अनेकों रामभक्तों का दो टूक मानना है कि यदि अदालत के निर्णय से ही मंदिर निर्माण होना है तो भाजपा को वोट क्यों।
-काश्मीर में सैनिकों की दुर्दशा के लिये केवल मोदी सरकार जिम्मेदार
लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी के उस भाषण को बेहद सराहा गया था जिसमें उन्होंने एक के बदले दस सिर काटने की बात कही थी। परन्तु सभी देशवासियों ने ऐसे अनेक वीडियो देखे होंगे जिसमें मोदी सरकार की अनोखी काश्मीर नीति में ए.के.-47 से लैस सैनिकों को पागल भीड़ से पिटते देखा गया है। हाल ही में रमजान पर सीज फायर में एक दर्जन सैनिकों को यूं ही अपने प्रांणों की आहुति देनी पड़ी। देशवासियों ने नरेन्द्र मोदी को एक फौलादी जिगर वाला व्यक्ति समझ कर सत्ता सौंपी थी परन्तु मोदी सरकार ने सैनिकों को कभी न भरने वाले ज़ख्म दे दिये हैं।
-समान नागरिक संहिता की तो भ्रूण हत्या ही कर दी
एक देश-एक विधान की बात करने वाली आज की भाजपा ने समान नागरिक संहिता की तो भ्रूण हत्या ही कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने लम्बे विश्लेषण के बाद एस0सी0/एस0टी0 एक्ट के तहत दर्ज मामलों में गाईडलाईन जारी की थी परन्तु मोदी सरकार निर्दोषों को जेलों में ठूंसने के पक्ष में खड़ी हो गई और इस मुददे को संविधान की नौंवी सूची में डालने हेतु विधेयक लाने की तैयारी शुरू कर दी।
-मोदी-अमित शाह की जोड़ी को आईना दिखाना जरूरी
स्माजवादी पार्टी में मुलायम सिंह को अपदस्थ कर अखिलेश यादव ने, कांग्रेस में सीताराम केसरी को धकिया कर सोनिया गांधी ने, पार्टी पर कब्जा जमाया तो भाजपा में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को नेपथ्य में ढकेल कर नरेन्द्र मोदी-अमित शाह की जोड़ी ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है। लेकिन जिस 20 फीसदी हिन्दूवादी वोटरों की दम पर भाजपा ने अपना ग्राफ बढ़ाया है वह न तो नरेन्द्र मोदी के नाम पर और न अमित शाह के नाम पर पार्टी को वोट देते हैं, यदि कुछ खास वर्ग के वोट की खातिर भाजपा ने अपना यही रवैय्या जारी रखा तो 2019 में अनके बेस वोट का खिसकना तय हैै।
-समानता मंच के पहले कार्यक्रम को मिली भारी सफलता
बीती 17 जून को उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून व अल्मोड़ा में अखिल भारतीय समानता मंच के प्रदर्शनों को पहले ही प्रदर्शन में भारी सफलता मिली है। देहरादून में एस0सी0 चंदेल, कर्नल ए0पी0 कुमेरी, जनकवि जशवीर हलधर, वी0वी0एस0 रावत, वी0पी0 नौटियाल, डा0 गार्गी मिश्रा (अभ्युदय वात्सल्यम), सचिन दीक्षित (युवा सेना) आदि की अगुआई में मासूम बच्चों तक ने आरक्षण के नाम पर सात दशकों से हो रहे भेदभाव पर सवाल उठाये, जिसका दूरगामी प्रभाव पड़ना तय है। वक्त रहते यदि भाजपा हाईकमान ने कुछ खास वर्गों के वोट हासिल करने के इरादे से अपना स्वार्थी रवैय्या जारी रखा तो निश्चित ही अनारक्षित वर्गों (विशेषकर सवर्ण) के वोट से हाथ धोना पड़ेगा।