हरिद्वार और देहरादून के स्ववित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों ने अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र-छात्राओं का अपने संस्थानों में फर्जी प्रवेश दिखाकर करोड़ों रुपये की धनराशि का गबन किया था। तत्कालीन सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोम प्रकाश ने संस्थानों में छात्रों का सत्यापन किए बिना ही ढाई करोड़ की छात्रवृत्ति आवंटित कर दी थी। फर्जीवाड़े में एसआईटी जांच कर रही है। सोम प्रकाश अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं और नोएडा में रहते हैं।
एसआईटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोम प्रकाश ने सिडकुल के कमलेश फार्मा मेडिकल को 19 लाख 98 हजार, कृष्णा प्राइवेट आईटीआई कमलापुर छुटमलपुर, सहारनपुर को 54 लाख 29 हजार 400 रुपये, ओम संतोष प्राइवेट आईटीआई सहारनपुर को 50 लाख 2 हजार 800 रुपये, यूपी कॉलेज ऑफ पॉलीटेक्निक को 30 लाख 27 हजार 600 रुपये, बाबूराम डिग्री कॉलेज सालियर को 41 लाख 30 हजार 45 रुपये, स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ एजूकेशन रुड़की को 24 लाख 83 हजार 550 रुपये और महर्षि दयानंद प्राइवेट आईटीआई धनौरी को 53 लाख से अधिक की छात्रवृत्ति का वितरण किया था। जांच के दौरान सामने आया कि सात शिक्षण संस्थानों को ढाई करोड़ से अधिक छात्रवृत्ति बांट दी गई थी, जबकि छात्रों ने उक्त शिक्षण संस्थानों में दाखिला ही नहीं लिया था। इसके चलते उन्हें एसआईटी की समक्ष पेश होने के लिए नोटिस दिए जा रहे थे, लेकिन वह पेश नहीं हो रहे थे। आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है। छात्रवृत्ति घोटाले में पूर्व में भी कई लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। कई करोड़ के घोटाले में हरिद्वार के अलावा देहरादून एवं अन्य जिलों में मुकदमे दर्ज हैं।