उत्तराखंड के सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में फर्जी डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं। लेकिन इन पर अंकुश लगाने के लिए सरकार प्रभावी व्यवस्था नहीं बना पा रही। पिछले दस सालों में राज्य में आठ फर्जी डॉक्टर और दो दर्जन के करीब मुन्ना भाई पकड़े जा चुके हैं। शुक्रवार को रुड़की अस्पताल में कार्यरत एक फर्जी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।
इसके बाद अब उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार ने दो अन्य फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी है। ऐसे में राज्य में बड़े स्तर पर फर्जी डॉक्टरों का जाल बिछे होने की आशंका पैदा हो गई है। राज्य में डॉक्टरों के पंजीकरण का कार्य उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल का है। काउंसिल डिग्री के सत्यापन के बाद ही डॉक्टरों का पंजीकरण करती है।
लेकिन इसके बावजूद डॉक्टरों का प्रैक्टिस करना और सरकारी नौकरी तक हासिल कर लेना सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि मेडिकल काउंसिल के डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ. डीडी चौधरी ने बताया कि काउंसिल सभी डॉक्टरों का पंजीकरण गंभीरता पूवर्क जांच रही है। इसके बाद ही यह मामले पकड़ में आए हैं। प्रदेश में करीब 24 मुन्ना भाई पकड़े जा चुके हैं।