● देव संस्कृति विश्वविद्यालय की व्याख्यानमाला और पतंजलि योगपीठ के कार्यक्रमों में हुए शामिल
● मध्यप्रदेश का मामा हूं तो आपका भी मामा हूँ : चौहान
● ट्रस्ट के कार्यक्रम में शामिल होकर मन प्रफ्फुलित हो गया
● चौहान ने भारतीय संस्कृति के प्रसार हेतु किये गए देव संस्कृति विश्वविद्यालय और गायत्री परिवार के अद्भुत प्रयासों की सराहना की
देहरादून। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिसंबर को उत्तराखंड का सफल दौरा किया। इस दौरान वह हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट द्वारा आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल हुए। चौहान ने गुरुवार को प्रातः 9:30 बजे, देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार में पौधारोपण करने के बाद विश्वविद्यालय के शांति कुंज आश्रम द्वारा आयोजित आचार्य श्रीराम शर्मा जी के शताब्दी वर्ष स्मृति व्याख्यानमाला में “आचार्य श्रीराम शर्मा जी का समग्र जीवन दर्शन” विषय पर कार्यक्रम को संबोधित किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांति कुंज हरिद्वार पहुंचने पर माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का डॉ. चिन्मय पंड्या, प्रति कुलपतिदेव संस्कृति विश्वविद्यालय एवं अन्य अधिकारियों ने स्वागत किया। “आज मेरा मन प्रसन्नता से भरा हुआ है। देव संस्कृति विश्वविद्यालय और हमारे गायत्री परिवार ने कई अद्भुत प्रयास किये हैं। परम पूज्य गुरुदेव की कृपा से भारतीय संस्कृति का सतत समस्त संसार में होता रहा है। आज इसी के फलस्वरूप हमारी संस्कृति के पदचिन्ह सर्वत्र दिखाई देते हैं।” इस अवसर पर चौहान ने भारतीय संस्कृति के प्रचलन में भाषाओं, परम्पराओं, जीवन मूल्यों में समानता को कारण बताते हुए कहा की भारतीय संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। मुख्यमंत्री चौहान ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में स्थित बाल्टिक शिक्षा एवं संस्कृति केंद्र का भी भ्रमण किया। विश्विद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या ने चौहान को सेंटर में रखे हुए ग्रंथों, वेद-पुराणों के अनुवाद आदि, तथा संस्कृति को सहेजने और सँवारने के लिए किए जा रहे कार्यों से अवगत कराया। मुख्यमंत्री चौहान ने विश्वविद्यालय के इस कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को जीवंत रखने के लिए किये जा रहे कार्य बहुत महत्वपूर्ण हैं। चौहान ने कहा कि, बाल्टिक देशों में भी भारतीय संस्कृति के परिचिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। बाल्टिक सेंटर ने न केवल उन देशों को जोड़ा है, बल्कि हमारी समान परम्पराओं, जीवन मूल्यों, और संस्कृति का अध्ययन कर उसको विश्व के सामने रखा है।” उन्होंने यह भी बताया की बाल्टिक देश यज्ञ, मंत्रों का जाप, कर्मकांड, इत्यादि सभी प्रकार के सभी प्रयासों से पुनः यशस्वी हुए हैं। वहां के विद्यार्थी और राजनेता भी भारत में अध्ययन के लिए आते हैं। चौहान ने गुरुदेव को अभिनन्दन के सुमन अर्पित करते हुए कहा कि परम पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से भारत और इन दो देशों को जोड़ने के सफल प्रयास किये गए हैं। व्याख्यानमाला को पूर्व में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी सम्बोधित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आने वाले दिनों में यहाँ पर सम्बोधन कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। व्याख्यानमाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, “यदि हम गुरुदेव के जीवन को देखें तो हमें स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, समाजसुधारक, और एक विश्वविख्यात विद्वान की छवि दिखाई देती है। गुरुदेव कई बार आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए जेल भी गए। चौहान ने बताया की गुरुदेव चाहते थे की स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्र का पुनर्निर्माण हो जिससे व्यक्तिनिर्माण की प्रक्रिया शुरू की जा सके, जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। देव संस्कृति विश्वविद्यालय भारत का ऐसा एक मात्र विश्वविद्यालय है जो सामाजिक परिवीक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों में नैतिक विकास एवं समाज उत्थान हेतु कार्यरत है। अब इस कड़ी में एक और नई पहल की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण पर विद्यार्थियों को विशेष रूप से ध्यान देने हेतु प्रेरित किया जाएगा। परिविक्षा के दौरान विद्यार्थियों के लिए 5 वृक्ष लगाना अनिवार्य होगा। इसके उपरांत ही देव संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को डिग्री / उपाधि दी जाएगी। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार में सन 1926 से निरंतर प्रज्वलित अखंड दीप के भी दर्शन किये। साथ ही गुरुदेव के शयनकक्ष और साधना कक्ष का अवलोकन किया। चौहान ने कहा कि वे यहाँ पर अतिथि नहीं हैं, लेकिन घर के ही एक सदस्य हैं। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आयोजित कार्यक्रम में चौहान ने गीता के उपदेश का पाठ करते हुए कहा कि, “जब-जब ऐसा लगा कि हम दिशा भ्रमित हो रहे हैं, जड़ता, गुलामी, कुरीतियां और गलत चीजों का प्रभाव बढ़ रहा है, तब-तब ईश्वर का अवतरण धरती पर समाज को दिशा देने के लिए, भक्तों को संभालने और सही राह दिखाने के लिए हुआ है।ऐसे ही हमारे परम पूज्य गुरुदेव जी भी हमारे मध्य पधारे। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “हमारा राष्ट्र अत्यधिक प्राचीन और महान है, इसके 5000 साल का तो ज्ञात इतिहास है। जब पश्चिम के देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था तो हमारे यहां वेदों की ऋचायें रच दी गई थीं। जब पश्चिम के लोग अपने शरीर को पेड़ों के पत्तों और छालों से ढका करते थे तब हमारे यहां विश्वविख्यात तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे। ऐसे प्राचीन और महान राष्ट्र के हम नागरिक हैं। जो पहले भी विश्व गुरु था जिसने कभी कोई विचारधारा थोपी नहीं कोई वाद, मत और पंथ थोपा नहीं। मुझे यह कहते हुए गर्व है कि भारत वह धरती है जिसने कहा, एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति अर्थात सत्य एक है जिसे विद्वान विभिन्न नामों से बुलाते हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में आकर उन्हें प्रसन्नता की अनुभूति हुयी है। उन्होंने कार्यक्रम में सम्मिलित अतिथियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि, “आज राष्ट्र के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है, नव निर्माण की आवश्यकता है, इसलिए इस अभियान को हमें आगे ले जाना होगा। आज हमें राष्ट्र की पुरानी नींव के लिये नवनिर्माण करना पड़ेगा और इसके लिए देशभक्त, चरित्रवान, ईमानदार और परिश्रमी लोग चाहिए। ऐसे लोग जो केवल अपने लिए नहीं, देश और समाज के लिए सोच सकें।” मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गायत्री परिवार के प्रमुख एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पंड्या का आशीर्वाद लिया एवं आदिशंकराचार्य जी का चित्र प्रदान किया। वहीं, शेलवाला पंड्या जी को साधना सिंह जी ने शॉल पहनाकर सम्मानित किया। अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट में योग सहित एकात्म मानववाद विषयों पर संवाद किया। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के संस्थापक स्वामी रामदेव जी, सहयोगी आचार्य बालकृष्ण, अध्ययनरत छात्र-छात्राएं, बड़ी संख्या में योग प्रशिक्षु एवं अनुयायी उपस्थित रहे। चौहान ने स्वामी अवधेशानंद गिरि जी के साथ शाम को गंगा आरती में शामिल होने के बाद रात्रि विश्राम हरिहर आश्रम में किया।