डीआईटी विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को त्वचा कैंसर की दवा के निरूपण के लिए मिला पेटेंट ग्रांट

उत्तराखण्ड

देहरादून। डीआईटी विश्वविद्यालय में फार्मेसि विभाग के शोधार्थिओं ने त्वचा कैंसर में उपयोग होने वाली प्रमुख दवा 5 -फ्लूरो यूरासिल नामक दवा का निरूपण किया था जिसके लिए भारत सरकार के महानियंत्रक एकस्व, अभिकल्प एवं व्यापार चिह्न विभाग से उन्हें पेटेंट ग्रांट दिया गया है शोधार्थियों ने इस शोध मे लौंग के तेल से 5- फ्लूरो यूरासिल का लिप्सोमाल जेल बनाया है, जो चर्म रोग में अतयंत लाभकारी सिद्व पाया गया है इस शोध में फार्मेसी विभाग के ऍम फार्मा के तत्कालीन छात्र अंकुर पचुरी ने डॉ ह्वाग्रे चितमे के पर्यवेक्षण व डॉ शरद विष्ट की सलाह से इस शोध को करके यह फार्मुलेशन विकसित की थी जिसमें शोद्यार्थी पंकज पंत ने इसका परीक्षण बेयर मॉलिक्यूलर फार्माकोलॉजी लेब में किया। आपको बता दें की यह बेयर मॉलिक्यूलर फार्माकोलॉजी लेब जर्मनी की एक कंपनी बेयर फार्मसीटिकल की सहायता से डी आई टी में स्थापित की गयी है। डॉ चितमे ने जानकारी देते हुए बताया की यह पेटेंट पिछले साल मार्च 2022 में दायर किया गया था और अब पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के अनुसार, भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा 20 वर्षों के लिए प्रदान किया गया है। वर्तमान में ऐसे ही अनेक प्रकार के अनुसन्धान कार्य इस लैब से डॉ हावाग्रे चितमे व उनके साथी व छात्र कर रहें हैं, जिनमें कैंसर , मधमेह व स्त्रियों में जननं सम्बन्धी शोधों पे कार्य शामिल है। डॉ चितमे ने कहा की यह शोध कैंसर रोगियों के उपचार लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा , इस शोध पर पेटेंट ग्रांट हासिल करने के लिए सभी शोधार्थियों ने इस प्रकार के शोधों व अनुसंधानों को प्रोत्साहित करने के लिए विश्विध्य्लय परिवार व चेयरमैन अनुज अग्रवाल जी व कुलपति प्रो (डॉ ) जी रघुराम जी का आभार जताया है।

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