उत्तरकाशी। निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू का बुधवार को 11वां दिन है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए मंगलवार रात भर ड्रिलिंग का काम चला। जिस गति से काम चल रहा है अगर सब कुछ ठीक रहा तो श्रमिकों के गुरूवार सुबह का सूरज देखने की उम्मीद जगी है।
ऑगर मशीन से 800 एमएम के छह पाइप डाले जा चुके हैं। 36 मीटर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है। सातवें पाइप की वेल्डिंग का काम चल रहा है। ड्रिलिंग सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। अब सुरंग में करीब 20 से 22 मीटर की दूरी रह गई है। मजदूर करीब 56 मीटर अंदर हैं। ऐसे में रेस्क्यू आपरेशन के लिए आज का दिन अहम है। बचाव अभियान को लेकर अगले करीब दस घंटे अहम हैं। टनल से जैसे-जैसे मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद बढ़ रही है, वैसे ही उनके प्राथमिक उपचार की भी तैयारी तेज हो गई है। यहां अस्थायी अस्पताल बनाया गया है, जिसमें आठ बेड लगाए गए हैं। यहां से करीब चार किलोमीटर दूर हेलिपैड बना है, जहां से श्रमिकों को एयरलिफ्ट करके एम्स ले जाया जा सकता है। उत्तरकाशी जिला अस्पताल में भी 45 बेड अलग से रिजर्व कर दिए गए हैं। वहीं, सुरंग में ऑगर मशीन से 39 मीटर तक ड्रिलिंग हो चुकी है। कुल 57 से 60 मीटर तक ड्रिलिंग होनी है। अधिकारियों का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा तो बुधवार रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने की उम्मीद है। सबसे पहले सुरंग में फंसे मजदूरों की संख्या 36 बताई गई थी। फिर इनकी संख्या 40 बताई गई। इसके एक सप्ताह बाद कंपनी ने 41 लोगों के फंसने की बात कही।
सुरंग में फंसे हुए मजदूरों का परिवार उनकी राह देख रहा है। इन्हीं में से मजदूरों के परिवार का सदस्य इंद्रजीत कुमार ने कहा कि मेरे दो परिचित लोग सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। मेरा भाई और दूसरा रिश्तेदार है। अधिकारी जो कह रहे हैं वह सच है। मैं लगभग 6 बजे सुरंग के अंदर गया था और हमारी बात हुई थी। अब इंतजार उनके बाहर आने का है।अपर सचिव तकनीकी, सड़क एवं परिवहन महमूद अहमद ने कहा कि अगर कोई बड़ी घटना नहीं होती तो जल्द ही अच्छी खबर आ सकती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई रुकावट नहीं आई तो बुधवार रात या गुरूवार सुबह कोई बड़ी खबर मिल सकती है। मलबे के साथ एक लोहे की रॉड भी आई है. खुशी की बात है कि ये लोहा पाइपलाइन बिछाने के बीच में हमारे लिए कोई समस्या पैदा नहीं हुई।