इस्लामाबाद। चीन ने जैश-ए-मुहम्मद के कुख्यात सरगना मसूद अजहर पर वीटो करने के फैसले का बेतुका तरीके से बचाव किया है। काउंसलर और विदेश मंत्रालय में एशिया मामलों के निदेशक चेन फेंग ने कहा कि ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन) के शिखर सम्मेलन में प्रतिबंधित संगठनों पर चर्चा हुई थी, व्यक्ति विशेष को लेकर नहीं। ऐसे में मसूद अजहर पर चीन का रुख ब्रिक्स घोषणापत्र में आतंकवाद के खिलाफ कही गई बातों का विरोधाभासी नहीं है।
चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर दो नवंबर को वीटो कर दिया था। इससे पहले फरवरी में भी उसने भारत के प्रस्ताव पर अड़ंगा लगाया था। पाकिस्तानी समाचारपत्र के संपादकों के साथ बात करते हुए फेंग ने चीन के कदम का बचाव किया। चीन में सितंबर में संपन्न बैठक में पहली बार पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और हक्कानी नेटवर्क के नाम को शामिल किया गया था।
फेंग ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पर भी रुख स्पष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि बीजिंग भारत को इस बात पर राजी करने की कोशिश कर रहा है कि सीपीईसी परियोजना आर्थिक सहयोग पर आधारित है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में शांति और संपन्नता को बढ़ावा देना है। इसका लक्ष्य राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करना कतई नहीं है। कॉरिडोर के गुलाम कश्मीर से गुजरने के कारण भारत शुरुआत से ही परियोजना का विरोध करता रहा है।