(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून। उत्तराखण्ड के अनछुए प्राकृतिक सौन्दर्य को करीब से देखने वालों का अक्सर यह दावा सुनने को मिलता है कि उत्तराखण्ड के मनोरम दृश्य स्विटजरलैण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य से भी बेहतर हैं, राज्य गठन के बाद पहली बार त्रिवेन्द्र सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल करते हुए राज्य में नये 13 पर्यटन स्थल विकसित करने का फैसला किया है।
-टिहरी झील के फ्लोटिंग मरीना पर हुई ऐतिहासिक कैबिनेट बैठक
राज्य के पर्यटन को प्रमुखता देने के उद्देश्य से उत्तराखण्ड की त्रिवेन्द्र रावत सरकार की कैबिनेट की बैठक नई टिहरी स्थित टिहरी झील के फ्लोटिंग मरीना पर आयोजित हुई जिसमें राज्य हित में कई अहम फैसले किये गये।
-तेरह जनपदों में तेरह नये पर्यटन क्षेत्र
उत्तराखण्ड में आजीविका का प्रमुख स्त्रोत तीर्थाटन एवं पर्यटन है। राज्य गठन के 18 वर्षों में कई सरकारें ‘अस्तित्व’ में आयी’ परन्तु किसी ने भी राज्य के पर्यटन मानचित्र पर किसी भी नये क्षेत्र को उभारने का प्रयास नहीं किया। यहां तक कि राज्य के दोनों प्रमुख पर्यटक स्थलों, नैनीताल एवं मसूरी में सीजन में पर्यटक जाम से जूझते दिखाई पड़ते हैं, और यह समस्या कई वर्षों से जस की तस है।
कैबिनेट बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार अलमोड़ा में सूर्य मन्दिर, नैनीताल में मुक्तेश्वर मन्दिर, पौड़ी में वाटरस्पोर्ट के रूप में सतपुली खैरगढ़, देहरादून में महाभारत सर्किट लाखामण्डल, हरिद्वार 52 शक्तिपीठ थीम पार्क, उत्तरकाशी में हर की दून-मोरी, टिहरी में टिहरी झील, रूद्रप्रयाग में चिरबिटिया, उधमसिंहनगर में गूलर भोज, चम्पावत में देवीधुरा, बागेश्वर में गरूड़ वैली, पिथौरागढ़ में मोस्ट मानु, चमोली में भराणी सैंण-गैरसैंण को न्यू डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया जायेगा।
-पर्यटन से जुड़ी कई गतिविधियों को उद्योग को दर्जा
पर्यटन को प्रमुखता देने के लिये पर्यटन से जुड़ी कई गतिविधियों के प्रोत्साहन देने के लिये उद्योग का दर्जा देने का फैसला किया गया है। अब कायाकल्प रिजाॅर्ट, आयुर्वेद, योगा, पंचकर्मा, बंजी जंपिंग, जाॅय राइडिंग, सर्फिंग, कैंपिंग, राफ्टिंग जैसी गतिविधियों को अब उद्यमियों की नीति के अन्तर्गत अनुमन्य सुविधायें प्रदान की जायेंगी।