देहरादून। लम्बे समय से विशेषतया निवर्तमान महानिदेशक डा0 पंकज कुमार पाण्डेय के कार्यकाल में प्रदेश के लघु व मध्यम श्रेणी के स्वामी/प्रकाशकों को बेहद खराब दौर से गुजरना पड़ा है। उत्तराखण्ड में पत्रकार हितों के लिये सजग रहने वाली देवभूमि पत्रकार यूनियन ने नवागन्तुक महानिदेशक दीपेन्द्र चैधरी के समक्ष इस मामले को प्रमुखता से उठाकर विज्ञापन बजट का एक भाग लघु-मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों के लिये नियत किये जाने की मांग की है।
-भेदभावपूर्ण वितरण से आर्थिक संकटग्रस्त हो चुके हैं स्वामी/प्रकाशक
राज्य गठन के उपरान्त 17 वर्षों तक लघु-मध्यम श्रेणी के संचालकों ने किसी प्रकार खुद को जीवन्त बनाये रखा परन्तु पिछला एक वर्ष डा0 पंकज कुमार पाण्डेय की पक्षपाती नीति के चलते यह वर्ग बेहद आर्थिक संकट में फंस चुका है। सूचना विभाग के विज्ञापन बजट का अधिकांश भाग बड़े मीडिया घरानों को बांट दिया गया है जिसकी एक बानगी त्रिवेन्द्र सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल के संदर्भ में जारी विज्ञापन में मिला। विभाग ने राज्य के सभी लघु-मध्यम श्रेणी के समाचार पत्रों के लिये कुल दो करोड़ 92 लाख का प्रस्ताव बनाया था परन्तु तत्कालीन महानिदेशक ने इसे घटा कर आधा कर दिया और प्रदेश के सम्पूर्ण अखबारों को एक करोड़ 46 लाख में निबटा दिया गया, वहीं दूसरी ओर पांच-छैह बड़े प्रकाशनों को ढाई करोड़ से अधिक का विज्ञापन जारी कर दिया गया। उसमें भी मात्र दो बड़े प्रकाशनों को एक करोड़ 48 लाख का विज्ञापन जारी किया गया।
-पृथक भाग का आवन्टन संजीवनी प्रदान करेगा लघु-मध्यम श्रेणी के वर्ग को
देवभूमि पत्रकार यूनियन ने अध्यक्ष विजय जायसवाल, महामंत्री वी0डी0 शर्मा के नेतृत्व में महानिदेशक के समक्ष जो मांग पत्र दिया है वह सभी मांगें आम पत्रकारों के हित की हैं। परन्तु जो मांग सर्वाधिक आवश्यक है उसमें देवभूमि यूनियन ने मांग की है कि विज्ञापन बजट को टी0वी0 चैनलों, बड़े प्रकाशनों, सोशल मीडिया के साथ-साथ लघु-मध्यम श्रेणी के प्रकाशनों के मध्य विभाजित किया जाये जिसमें एक सम्मानजनक भाग लघु-मध्यम श्रेणी के प्रकाशनों के लिये नियत किया जाये। आशा है कि नवागन्तुक महानिदेशक विज्ञापन बजट का औचित्यपूर्ण बंटवारा कर इस वर्ग को नयी संजीवनी प्रदान करेंगे।