देहरादून- “कौन कहता है आसमां मे सुराख नहीं हो सकता है,, जरा एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो “। हम लोगों ने यह मशहूर कहावत बहुत बार सुनी होगी,परन्तु इसे हकीकत में चरितार्थ होते बहुत कम देखा होगा। देहरादून मे इस कहावत करके दिखाया है युवा, जुझारू पत्रकार आलोक शर्मा ने।। जिन्होंने लम्बी लड़ाई के बाद अन्ततः पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता स्तर के उस अधिकारी के अभिमान को चूर करने मे सफलता प्राप्त की जो पैसों की खनक मे सभी को झुका देने का माद्दा रखता रहा है। युवा पत्रकार आल़ोक शर्मा ने उक्त अधिशासी अभियंता द्वारा काली कमाई से एकत्रित की गई अकूत सम्पत्ति, जमीन जायदाद के खिलाफ जबरदस्त मुहिम छेड़ी। श्री शर्मा को हर हथकन्डा आजमा कर डराने की कोशिश की गई। दवाब बनाने के लिए थाने मे प्राथमिकी तक दर्ज करा दी गई।परन्तु आल़ोक शर्मा निडर होकर ऐसे अभियंता को बेनकाब करते रहे।अन्ततः पेयजल निगम ने ऐसे अभियंता को बर्खास्त करना पड़ा। पेयजल निगम ने बर्खास्तगी के साथ ही काली कमाई से अकूत सम्पदा एकत्रित करने के मामलों की उच्च स्तरीय जांच बैठा दी। आल़ोक शर्मा की यह नैतिक विजय उन लोगों के लिए करारा जवाब है जो मीडिया द्वारा चलाई गई हर मुहिम पर पत्रकार की नीयत पर ही सवाल उठा देते हैं।