उत्तराखंड के कुमाऊं में तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपलपड़ाव रेंज के जंगल से होकर रामनगर जा रही आगरा फोर्ट एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आने से हथिनी और उसके बच्चे की मौत हो गई। इससे गुस्साए हाथियों के झुंड ने करीब आधे घंटे तक ट्रेन का रास्ता रोके रखा।
इस दौरान यात्रियों की सांसें थमी रहीं। लोको पायलट को ट्रेन पांच किलोमीटर पीछे की ओर दौड़ानी पड़ी। इसके बाद यात्रियों को टांडा बैरियर पर उतार दिया गया। वन विभाग ने लोको पायलट के खिलाफ वन्यजीव अपराध अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। पोस्टमार्टम के बाद हथिनी और उसके बच्चे के शव दफना दिए गए।
आगरा फोर्ट एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 05055 लालकुआं रेलवे स्टेशन से 65 यात्रियों को लेकर रामनगर के लिए रवाना हुई। सुबह 5:25 बजे ट्रेन तराई केंद्रीय वन प्रभाग के पीपलपड़ाव रेंज स्थित भूराखत्ता पहुंची। इसी दौरान ट्रेन के आगे हाथी का छह महीने का बच्चा आ गया। ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई। बच्चे को बचाने के लिए आगे आई हथिनी भी ट्रेन की चपेट आ गई और उसने भी दम तोड़ दिया।
इससे हाथियों का झुंड आक्रामक हो गया। वे ट्रेन के आगे खड़े हो गए। इस पर लोको पायलट ने ट्रेन रोक दी। इस दौरान ट्रेन में सवार 65 यात्रियों में दहशत फैल गई। आधे घंटे तक हाथियों का झुंड ट्रेन का रास्ता रोके खड़ा रहा। लोको पायलट ने ट्रेन उल्टी दौड़ा कर टांडा बैरियर पर सभी यात्रियों को उतार दिया। इसके बाद वे दूसरे वाहनों से गंतव्य के लिए रवाना हुए। एसडीएम ध्रुव मर्तोलिया ने बताया कि पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है। लोको पायलट की लापरवाही से हाथी और उसके बच्चे की जान गई है।