इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, मैनेजमेंट और फार्मेसी कॉलेज अब मनमाने तरीके से फीस नहीं ले सकेंगे। केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के तहत सत्र 2022-23 से भी तकनीकी संस्थानों की फीस निर्धारित करने जा रही है। फीस का ढांचा तय करने के लिए गठित पूर्व जस्टिस श्रीकृष्णन कमेटी ने दिसंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। कमेटी की सिफारिशों पर विचार के लिए सरकार ने यह रिपोर्ट दूसरी विशेषज्ञ कमेटी को भेजी है।
एआईसीटीई तकनीकी कॉलेजों की फीस का ढांचा तय करती है। तकनीकी संस्थानों की फीस शिक्षकों को मिलने वाला वेतन, ढांचा, सीट, कोर्स समेत अन्य सुविधाओं के आधार पर तय होगी। इससे कैपिटेशन फीस पर भी रोक लगेगी। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मार्च में नया नियम लागू हो सकता है। सरकार चाहती है कि फीस निर्धारण से कॉलेज, छात्र या किसी का भी नुकसान नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट में पहले वर्ष से लेकर अंतिम वर्ष तक फीस का ढांचा एक रखने की भी बात कही गई है। अभी फीस का ढांचा हर राज्य में अलग-अलग है। केंद्र और राज्य सरकारों के संस्थानों की फीस में भी एकरूपता नहीं है। कोई तय नियम नहीं होने से कॉलेज सालाना डेढ़ लाख से दस लाख रुपये रुपये तक सालाना फीस लेते हैं। इससे छात्रों को परेशानी होती है।