- आरटीआई लोक सेवा ट्रस्ट द्वारा हिन्दी भवन मे खुली बहस कार्यक्रम आयोजित,उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री बी पी नौटियाल ने रखे सारगर्भित विचार
- देहरादून को अतिक्रमण मुक्त कराने सम्बन्धी जनहित याचिका दाखिल करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन लखेड़ा को किया गया सम्मानित
देहरादून। आज दिनांक 30 जून 2018 को हिन्दी भवन देहरादून में आरटीआई लोक सेवा (ट्रस्ट संगठन) के तत्वाधान में लोक सूचना अधिकार (आरटीआई) पर एक खुले मंच से खुली बहस का आयोजन संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के एक सत्र में ‘आरटीआई पर कक्षा सत्र’ भी चलाया गया। आरटीआई कक्षा सत्र में आरटीआई कानून की मोटी मोटी जानकारियाॅं, आरटीआई का इतिहास, सिविल सोसायटी की भूमिका और आरटीआई का प्रयोग व आरटीआई शिकायतों का निवारण व अपीलों के प्रक्रिया आदि की गहन जानकारियाॅं नवागन्तुक एक्टिविस्ट को प्रदत्त की गई। पूरा कार्यक्रम खुले सत्र के रुप में ही संपादित किया गया। कार्यक्रम में बताया गया कि किस प्रकार से आरटीआई कानून के आने के बाद से व्यवस्था में पारदर्शिता का जबरदस्त उभार और चेतना विकसित होती जा रही है। आरटीआई के द्वारा जिस प्रकार से घोटाला, भ्रष्टाचार और भाई-भतिजावाद, दिन प्रतिदिन, उधड़कर सामने आ रहा है, वह प्रदर्शित कर रहा है कि आरटीआई अपने उद्देश्य पाने में सफल रह रही है। आरटीआई कानून से तंत्रिका में बैठे भ्रष्ट आज घबराए हुए है। उनकी मंशा और कोशिशें हो रही हैं कि आरटीआई कानून को किसी तरह से कमजोर और कमतर बना दिया जाए। आरटीआई पर आयोजित इस खुली बहस कार्यक्रम में भागीदारी करते हुए विभिन्न संगठनों व संस्थाओं से आए हुए लोगों ने आरटीआई अधिनियम के साथ किए जा रहे खिलवाड़ पर गहरी चिन्ताएं व्यक्त करते हुए सिविल सोसायटी मूवमेंट को गति प्रदान करने के विचार सदन में रखे। कार्यक्रम में इस बात पर आम सहमति बनती दिखी कि आज नागरिक हित में आरटीआई कानून को बचाने हेतु ठोस उपलब्ध वैधानिक उपायों के साथ साथ इस प्रगतिशील कानून के पक्ष में अवाम को जागरुक करना परमाआवश्यक हो गया है। आरटीआई लोकसेवा के इस कार्यक्रम में बताया गया कि पूरे भारत वर्ष में आरटीआई पर कार्य करने वाली संस्थाएं व एक्टिविस्ट पुनः सक्रिय हो रहे हैं ताकी आरटीआई कानून को कुन्द पड़ने से रोका जा सके। कार्यक्रम में इस बात की घोर निंदा की गई कि देश में आरटीआई की शीर्ष अपीलीय संस्थाओं में नियुक्तियों में देरी की जा रही हैं। इससे सूचना आयोगों में अपीलों और शिकायतों का अंबार लग रहा है। और कानून के क्रियान्वयन के मूल सिद्धांत पर कुठाराघात हो रहा है। इससे आरटीआई आवेदनकत्र्ता के लिए समय पर सूचना प्राप्ति द्वारा न्याय प्राप्त करने की आस करना ही बेमानी बनता जा रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट समेत राष्ट्र में अभिव्यक्ति के पक्ष में कार्य करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा की चिंता भी आरटीआई लोक सेवा के इस खुले अधिवेशन में सामने लाई गई। सूचना आयोगों द्वारा सूचना विलम्ब से देने अथवा लेट लतीफी करने पर लोक सूचना अधिकारीयों पर अधिनियम के प्राविधानों के तहत शास्ति (penalty provisions) लगाने में कोताही करने की भी निंदा खुले मंच से की गई। वक्ताओं का कथन था कि इससे निकम्मे और भ्रष्ट विभागों को सूचना न देने पर प्रोत्साहन प्राप्त होता है और अधिनियम कमजोर पड़ता है। गंभीर विमर्श बाद केद्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोगों द्वारा किए गए उन फैसलों से बचने हेतु आरटीआई कानून के दायरे में आने से बचने के राष्ट्रीय दलों समेत कई वैधानिक शक्तियों के प्रयासों को अधिवेशन में लोकतंत्र विरोधी सोच करार दिया गया। और मांग की गई की प्रत्येक राजनैतिक संस्था /संगठन जो कि शासन से परोक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रुप में लाभान्वित हो रही हैं, को अविलम्ब आरटीआई अधिनियम के दायरे में लाई जाएं। खुले अधिवेशन में विचार आया कि भारत संघ चूॅंकि विश्व मंच पर एक बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र की पहचान रखता है तो व्यवस्था में प्रगतिशील राष्ट्रों के पारदर्शिता कानून के गुणवत्ता भरे मानदण्डों और नियमन का पूर्ण अध्ययन कर उन्हें यहाॅं भी लागू करने पर विचार किया जाए। आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर विचार करते हुए नैनीताल उच्च न्यायलय के अधिवक्ता बीपी नौटियाल द्वारा यह प्रस्ताव लाया गया कि आरटीआई कार्यकर्ता की हत्या होने की दिशा में इसकी जिम्मेदारी उन लोगों पर डाली जाए जिनके खिलाफ आरटीआई लगाई गई हो। और जिस प्रकार से भारतीय दंड संहिता में दहेज के मामलों में नवविवाहित की मृत्यू होने पर दहेज माॅंगने वालों को ही सिद्ध करना पड़ता है कि उनका हाथ उक्त में नहीं है, उसी प्रकार से एक आरटीआई एक्टिविस्ट की मृत्यू होने पर स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने की जिम्मेदारी उनपर ही होनी चाहिए जिनके खिलाफ आरटीआई डाली गई हों। संगोष्ठि में उत्तराखंड में ‘आरटीआई लोक सेवा’ की भांति आरटीआई पर कार्य करने वाली विभिन्न संस्थाएं जो कि अपने स्तर पर सराहनीय कार्य कर रही हैं, तय हुआ कि ऐसी सर्व संस्थाओं को एक समान उद्देश्य के लिए सूत्रब( करने के प्रयास अमल में लाए जाएं। और ऐसी संस्थाओं/संगठनों और सिविल सोसायटी एक्टिविस्ट के सम्मान में नागरिक कार्यक्रम भी भविष्य में सृजित किए जाएं। खुली संगोष्ठि में तय हुआ कि सर्व संगठन 8 तारीख को होटल हेरिटेज, विकास नगर में एक संयुक्त कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे जिसे आरटीआई एवम् ह्यूमन राईट्स आर्गेनाइजेशन मंचन करेगा। साथ में यह भी तय किया गया कि 13 तारीख को आरटीआई लोक सेवा के तत्वाधान में देहरादून स्थित इंद्रमणि बडोनी जी की मूर्ति के समक्ष आरटीआई अधिनियम के साथ छेड़छाड बन्द करने व आरटीआई को मजबूत बनाने हेतु उपवास भी रखा जाएगा। कार्यक्रम के आयोजन हेतु विचार पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी आरटीआईलोकसेवा के अध्यक्ष मनोज ध्यानी और संयोजन की जिम्मेदारी मनोज बिजल्वाण, रविन्द्र प्रधान, सुशाीला अमोली, रजनी भंडारी, शांता नेगी को सौंपी गई। आज के कार्यक्रम में भागीदारी करने वाली संस्थाओं में आरटीआई लोक सेवा, आरटीआई क्लब, आरटीआई एण्ड ह्यूमन राईट्स आर्गेनाइजेशन, हमारा उत्तरजनमंच ;हमद्ध, इंटरनेशनल ह्यूमन राईट्स आर्गेनाइजेशन, संयुक्त नागरिक संगठन देहरादून, वानिकी मृतक कर्मचारी आश्रित कल्याण समिति, शिक्षा प्रेरक संगठन आदि अनेकों संगठन सम्मिलित रहे। कार्यक्रम के बीच में देहरादून में अतिक्रमण के खिलाफ जनहित याचिका डालने वाले श्रमजीवी पत्रकार मनमोहन लखेड़ा को भी सम्मानित किया गया।