(सुरेन्द्र अग्रवाल द्वारा)
देहरादून। लम्बे समय से उपेक्षाग्रस्त सूचना व लोक सम्पर्क विभाग के दिन अब बहुरते दिखाई दे रहे हैं। अधिकांश विभागाध्यक्षों द्वारा निदेशालय से दूरी बनाये रखने की वजह से विभागीय अधिकारीगण फाइलों का पुलन्दा लिये सचिवालय की दौड़ लगाने को मजबूर रहते थे परन्तु नवागन्तुक महानिदेशक दीपेन्द्र चैधरी के कार्यकाल में माहौल बदलता दिखाई देने लगा है।
-विभागीय कार्यप्रणाली को गंभीरता से समझने हेतु हैं प्रयत्नशील
वर्तमान महानिदेशक विभागीय कार्यप्रणाली को बारीकी से समझने में जुटे हैं। उनकी नियुक्ति को एक पखवारा हो चला है, अभी उन्होंने पत्रावलियों पर हस्ताक्षर तक शुरू नहीं किये हैं। आम तौर पर विभागीय अधिकारी जो पत्रावलियां महानिदेशक को प्रेषित करते हैं वह सामान्य प्रक्रिया में हस्ताक्षरित हो जाती हैं। महानिदेशक की यह कार्यप्रणाली यह सिद्ध करती है कि उनके कार्यकाल में कोई खेल आसानी से संभव नहीं है।
-पत्रकार संगठनों को दे रहे हैं पूरा सम्मान
लम्बे अर्से बाद सूचना विभाग में ऐसा विभागाध्यक्ष पदस्थ हुआ है जो लघु-मध्यम श्रेणी के समाचार-पत्रों के संचालकों के प्रभुत्व वाले पत्रकार संगठनों से न केवल बेहद सम्मान से मुलाकात कर रहा है वरन उनके द्वारा उठाई जा रही समस्याओं को गहनता से सुन व समझ रहा है।
-सूचना कार्यालयों के निरीक्षण का दौर हुआ शुरू
दीपेन्द्र चैधरी जी अपनी कार्यप्रणाली से विभागीय स्टाफ से लेकर पत्रकार संगठनों तक को खासा प्रभावित कर चुके हैं किन्तु अब उनका नया कदम बेहद चैकाने वाला है। सूचना विभाग के जनपदीय कार्यालय राज्य गठन से वर्तमान तक अनाथ की स्थिति में है। उत्तराखण्ड के अस्तित्व में आने के 18 वर्षों में किसी सूचना कार्यालय के महानिदेशक के कदम अनायास ही पड़े होंगे परन्तु ऐसा पहली बार हो रहा है कि विभागाध्यक्ष द्वारा विधिवत कार्यक्रम जारी कर जनपदों में स्थित कार्यालयों का निरीक्षण प्रारम्भ किया गया है। इस क्रम में पत्रांक 09 दिनांक 07 अगस्त द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार नौ अगस्त को दूरस्थ क्षेत्र चम्पावत के जिला सूचना कार्यालय का एवं ग्यारह अगस्त को मीडिया सेन्टर हल्द्वानी के निरीक्षण का कार्यक्रम घोषित किया गया है।